फ़तावा

(४) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसअला

शहीद पर ग़ुसल वाजिब नहीं है, लिहाज़ा अगर किसी शख़्स को क़तल कर दिया गया हो, तो उस को उस के ख़ून के साथ दफ़न कर दिया जाएगा और उस को ग़ुसल देना वाजिब नहीं होगा, अगरचे...

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(३) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

सवालः क्या मय्यित के क़रीब रिश्तेदार औरतें तअज़ियत करे या मोहल्ले की दूसरी औरतें भी तअज़ियत कर सकती हैं? जवाबः तअज़ियत सुन्नत है और तअज़ियत की सुन्नत मय्यित के क़रीबी रिश्तेदारों के साथ मख़सूस नहीं है. बलके मय्यित के क़रीबी रिश्तेदार और वह लोग जो मय्यित के रिश्तेदार नहीं हैं सब तअज़ियत कर सकते हैं...

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(२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

अगर कोई मय्यित के घर जाए और वहां खाना पेश किया जा रहा हो, तो क्या वह खाना तनावुल करना जाईज़ है? क्या मय्यित के घर उस के घरवाले और मेहमानों के लिए खाना भेजना जाईज़ है?...

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मरज़ुल मौत (मौत की बीमारी)

अगर कोई शख़्स मरज़ुल मौत में हो, मगर किसी और सबब से मर जाये (मिषाल के तौर पर वह आख़री दरजे के केन्सर में मुब्तला हो, मगर वह गाड़ी के हादषे की वजह से मर जाये) तब भी इस बीमारी को “मरज़ुल मौत” कहा जायेगा...

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मुसलमान की गर्भवती ईसाई या यहूदी बिवी की तदफ़ीन कहां की जाये?

अगर गर्भवती महीला औरत मर जाये और उस के पेटे में बच्चा जिवीतत हो, तो बच्चे को आपरेशन के द्वार निकाला जायेगा और अगर बच्चा जिवीत न हो, तो उस को नहीं निकाला जायेगा...

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आशूरा की महत्तवता

सवाल – कुछ लोगों का अक़ीदा है कि मुहर्रम का महीना हज़रत हुसैन (रज़ि.) की शहादत पर सोग (ग़म) मनाने का महीना है और कुछ लोगों का ख़्याल है कि मुहर्रम का महीना ख़ुशी मनाने और अहले ख़ाना (घर वालों) पर फ़राख़ दिली (दिल ख़ोल कर) से ख़र्च करने का …

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हज़रत हुसैन (रज़ि.) के लिए आशूरा के दिन रोज़ा रखना

सवाल – क्या हम हज़रत हुसैन (रज़ि.) को सवाब पहोंचाने के लिए आशूरा के मोक़े पर रोज़ा रख सकते हैं? क्या उस का कोई ख़ास फ़ायदा या सवाब है जो अल्लाह त’आला हमें अता फ़रमाऐंगे?

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