फ़तावा

शाबान की पंदरहवीं शब की फ़ज़ीलत

सवालः- मैंने एक अरब शैख़ से सुना कि शब-ए-बारात की फ़ज़ीलत के सिलसिले में जितनी भी हदीस वारिद हुई है वह सब ज़ईफ़ है, और उन में से कोई हदीस सहीह नहीं है. लिहाज़ा हमें इस शब (रात) और उस के अगले दिन को अहमियत देने की ज़रूरत नहीं। क्या …

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जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१३)

मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान ज़िकर करना सवालः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना कैसा है? जवाबः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना सुन्नत से षाबित नहीं है. अलबत्ता ग़ुसल …

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(१२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

पानी मौजूद न होने की सूरत में मय्यित को तयम्मुम कराना सवालः- अगर पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को किस तरह से ग़ुसल दिया जाए? जवाबः- अगर एक शरई मील की मसाफ़त के बक़दर (या उस से ज़्यादा) पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को तयम्मुम कराया जाएगा. [१] …

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(११) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

मय्यित के जिस्म से जुदा अंग का ग़ुसल सवालः- बसा अवक़ात एसा होता है के मय्यित के जिस्म से बाज़ अंग जुदा होते हैं मषलन गाड़ी के हादसे वग़ैरह में मय्यित के कुछ अंग टूट जाते हैं और जिस्म से जुदा होते हैं, तो क्या ग़ुसल के समय उन अलग …

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(१०) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

ग़ुसल के शुरू में जब मय्यित को वुज़ू कराया जाए, तो कहां से शुरू करना चाहिए यअनी पेहले मय्यित के हाथों को गट्टों समैत धोया जाए या पेहे चेहरा धोया जाए?...

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(८) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

सवालः- मय्यित को ग़ुसल किस को देना चाहिए? कभी कभी मय्यित के ग़ुसल के वक़्त कुछ लोग मात्र देखने के लिए आ जाते हैं, जबके मय्यित के परिवार वाले इस को पसन्द नहीं करते हैं, तो क्या परिवार वाले उन लोगों को मनअ कर सकते हैं?...

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(६) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसअला

मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों (हाथ, पैर, नाक और घुटनों) पर काफ़ूर मलना अफ़ज़ल है. अलबत्ता काफ़ूर का पेस्ट बनाना और उस को मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों पर लगाना दुरूस्त नहीं है, क्युंकि यह सुन्नत के ख़िलाफ़ है और उस से चेहरा और दीगर अंग बदनुमा मालूम होते हैं...

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