फ़तावा

क्या रोज़े की निय्यत ज़बान से करना ज़रूरी है?

सवाल – अगर किसी ने ज़बान से रोज़े की निय्यत नहीं की, तो क्या उस का रोज़ा दुरूस्त होगा? स्पष्ट रहे के उस को ज़हनी तौर पर मालूम है के वह रमज़ान का रोज़ा रख रहा है.

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फ़जर से पेहले जनाबत का ग़ुसल न करने की सूरत में रोज़े का हुकम

सवाल – अगर किसी ने रमज़ान के महीने में एक दिन फ़जर की नमाज़ से पेहले जनाबत का ग़ुसल नहीं किया, बलके उस ग़ुसल को मुअ की नमाज़ से पेहले ग़ुसल जनाबत का ग़ुसल किया, तो क्या उस का रोज़ा दुरूस्त होगा?

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ज़कात की रक़म से स्कूल के लिए कोई सामान ख़रीदना

सवाल – अगर कोई आदमी ज़कात अदा करने की निय्यत से ज़कात की रक़म से स्कूल के लिए कोई सामान खरीद ले, तो क्या इस तरह करने से उसकी ज़कात अदा होगी?

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शाबान की पंदरहवीं शब की फ़ज़ीलत

सवाल – में ने एक अरब शैख़ से सुना के शबे बराअत की फ़ज़ीलत के सिलसिले में जितनी भी अहादीष वारिद हुई वह सब ज़ईफ़ है, लेकिन उन में से कोई हदीष सहीह नहीं है. लिहाज़ा इस शब और उस के अगले दिन को महत्तवता देने की ज़रूरत नहीं. क्या …

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आशूरा की महत्तवता

सवाल – कुछ लोगों का अक़ीदा है के मुहर्रम का महीना हज़रत हुसैन (रज़ि.) की शहादत पर सोग (ग़म) मनाने का महीना है और कुछ लोगों का ख़्याल है के मुहर्रम का महीना ख़ुशी मनाने और अहले ख़ाना (घर वालों) पर फ़राख़ दिली (दिल ख़ोल कर) से ख़र्च करने का …

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