फ़तावा

सदक़ए फ़ित्र ज़कात के निसाब के बराबर देना

सवाल – अगर कोइ शख़्स किसी ग़रीब आदमी को इतना ज़्यादा सदक़ए फ़ित्र दे के दी हुई रक़म ज़कात के निसाब को पहुंच जाए, तो क्या यह जाइज़ है?

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एतेकाफ़ की नज़र मानना/ अपने ऊपर एतेकाफ़ लाज़िम करना

सवाल – अगर किसी शख़्स ने अपने ऊपर एतेकाफ़ को वाजिब कर दिया (मषलन उस ने नज़र मानी के अगर कोइ काम पूरा हो जाए, तो वह एतेकाफ़ करेगा), तो अगर वह काम पूरा हो जाए क्या उस को एतेकाफ़ में बैठना वाजिब होगा?

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एतेकाफ़ की हालत में रोज़ा टूट जाना

सवाल – रमज़ान के आख़री अशरे में अगर किसी मोअतकिफ़ का रोज़ा टूट जाए, तो क्या उस का सुन्नत एतेकाफ़ भी टूट जाएगा? अगर उस का सुन्नत एतेकाफ़ भी टूटेगा, तो क्या उस पर टूटे हुवे एतेकाफ़ की क़ज़ा लाज़िम होगी?

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