सवाल – एक शख़्स रमज़ान में दिन के वक्त सफ़र शुरू करने वाला है और सुबह सादिक़ के वक्त (जिस समय रोज़ा शुरूअ होता है) वह अपने इलाक़े ही में है, और मुसाफिर नहीं है तो क्या उस के लिए रोज़ा न रखना जाईज़ है?
और पढ़ो »सफ़र में रोज़ा रखना
सवाल – क्या मुसाफ़िर पर सफ़र के दौरान रोज़ा रखना फ़र्ज़ है?
और पढ़ो »रोज़े को फ़ासिद समझ कर जानबुझ कर खाना पीना
सवाल – किसी ने रोज़े के दौरान भूल कर कुछ खा लिया, उस के बाद यह सोच कर के रोज़ा टूट चुका है, जानबूझ कर कुछ खा लिया, तो क्या उस से रोज़ा फ़ासिद हो गया? अगर रोज़ा फ़ासिद हुवा, तो क़ज़ा के साथ कफ़्फ़ारह भी लाज़िम होगा या मात्र …
और पढ़ो »तिजारत के सामान के मुख़तलिफ़ चीज़ों पर ज़कात
सवाल:– अगर कोई आदमी मुख़तलिफ़ किस्म के सामान ख़रिद ले जो ख़ूद फ़रोख़्त होने वाले नहीं है, लेकिन उन के ज़रीए तिजारत के सामान बनाए जाते हैं, जैसे तिजारत का सामान कुर्ता है, कुर्ता बनाने के लिए कपड़ा, धागा, बटन वग़ैरह की ज़रूरत होती है. कुर्ता बनाने से पहले जब …
और पढ़ो »रोज़े के दौरान भूल कर खाना पीना
सवाल – क्या रोज़े के दौरान भूल कर खाने पीने से रोज़ा टूट जाएगा?
और पढ़ो »रमज़ान के महीने में शरई उज़र के बग़ैर रोज़ा न रखना
सवाल – अगर कोई आदमी शरई ‘उज़र के बग़ैर रमज़ानुल मुबारक में रोज़ा न रखे और लोगों के सामने खुलम खुल्ला खाए पीए तो ऐसे आदमी का क्या हुक्म है?
और पढ़ो »रोज़े की फ़रज़िय्यत
सवाल – रमज़ान के महीने में किस पर रोज़ा रखना फ़र्ज़ है?
और पढ़ो »ड़ाकटर की दवाओं पर ज़कात
सवाल:– क्या उस दवा पर ज़कात फ़र्ज़ है, जो ड़ाकटर अपने मरीज़ों को बेचता है?
और पढ़ो »नमाज़े जनाज़ा के सहीह होने के लिए मय्यित से मुतअल्लिक़ शरतें
दूसरी क़िसम की शरतें वह हैं जो मय्यित से मुतअल्लिक़ हैं. ऐसी शरतें छ(६) हैं जो निम्नलिखित हैः [1] (१) मय्यित मुसलमान हो. अगर मय्यित काफ़िर या मुरतद हो, तो उस की जनाज़े की नमाज़ अदा नहीं की जाएगी और मुसलमान अगर चे फ़ासिक़ व फ़ाजिर या बिदअती हो, फिर …
और पढ़ो »क़र्ज़ माफ़ करने से ज़कात का हुकम
सवाल:– अगर क़र्ज़-ख़्वाह (उधार देने वाला) क़र्ज़-दार (उधार लेने वाले) को क़र्ज़ और दैन (वह उधार जो बेचे गए सामान के बदले हो) माफ़ कर दे और माफ़ करते वक्त उसने ज़कात अदा कर ने की निय्यत की, तो क्या महज़ क़र्ज़ और दैन (वह उधार जो बेचे गए सामान …
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