फ़तावा

शहर में ईदुल अज़हा की नमाज़ की अदायगी से पहले गांव में कुर्बानी का जानवर ज़बह करना

सवाल – एक आदमी शहर में रेहता है. उस ने अपनी क़ुर्बानी का जानवर गांव में भेज दिया. वह जानवर गांव में शहर में ईद की नमाज़ होने से पेहले ज़बह कर दिया गया, तो क्या यह क़ुर्बानी दुरूस्त होगी?

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क़ुर्बानी के जानवर में अक़ीक़े की निय्यत करना

सवाल – अगर क़ुर्रबानी के शुरका (भागीदारो) में से कोई शरीक (भागीदार) क़ुर्रबानी की निय्यत न करे, बल्के अक़ीक़े की निय्यत करे, तो क्या सब शुरका (भागीदारो) की क़ुर्बानी दुरूस्त होगी?

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क़ुर्बानी के शुरका(प्रतिभागियों) में से किसी प्रतिभागि का केवल गोश्त प्राप्त करने की निय्यत करना

सवाल – अगर क़ुर्बानी के शुरका (भागीदारों) में से किसी शरीक (भागीदार) की निय्यत सिर्फ गोश्त हासिल करने की हो, तो क्या तमाम शुरका (भागीदारों) की क़ुर्बानी फ़ासिद (ख़राब) हो जायेगी?

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क़ुर्बानी की नज़र मानना(मानता मानना)

सवाल – शरीअत के रू से उस आदमी का क्या हुकम है जिस ने नज़र मानी के अगर उस का फ़लां काम हो गया, तो वह क़ुर्बानी करेगा, तो अगर उस का फ़लां काम हो जाये, क्या उस पर क़ुर्बानी वाजिब होगी. मज़ीद यह भी बताये कि इस मसअले में …

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ग़रीब आदमी का क़ुर्बानी के लिए जानवर ख़रीदना

सवाल – ग़रीब आदमी ने (जिस पर क़ुर्बानी वाजिब नहीं थी) क़ुर्बानी के लिए जानवर ख़रीदा, तो क्या उस पर क़ुर्बानी वाजिब हो जायेगी?

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क़ुर्बानी के दिनों में साहिबे निसाब होने वाले पर कुर्बानी

सवाल – एक शख़्स पर साहिबे-निसाब न होने की वजह से कुर्बानी वाजिब नही थी, मगर बारह ज़िल-हिज्जह को सूरज के ग़ुरूब होने से पहले वह निसाब के बराबर माल का मालिक बन गया, तो क्या उस पर कुर्बानी वाजिब होगी?

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बारह ज़िल हिज्जह को ग़ुरूबे शम्स से पेहले धर लौटने वाले मुसाफ़िर पर क़ुर्बानी

सवाल – एक शख़्स दस, ग्यारह और बारह ज़िल-हिज्जा को सफ़र की हालत में था, मगर वह बारह ज़िल-हिज्जा को सूरज के ग़ुरूब होने से पेहले धर वापस आ गया, तो क्या उस पर क़ुर्बानी वाजिब होगी?

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