फ़तावा

दुआ-ए-कुनूत के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ना

सवाल: वित्र की नमाज़ में दुआ-ए-कुनूत के बाद दुरूद-शरीफ़ पढ़ने का क्या हुक्म है? क्या इसे पढ़ना चाहिए या नहीं? कुछ लोग कहते हैं कि यह मुस्तहब है। उनकी दलील क्या है? और क्या आम लोगों को इस की तर्गीब दी जा सकती है या नहीं? जवाब: दुआ-ए-कुनूत के बाद …

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हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत में कुरान-शरीफ़ का तर्जुमा पढ़ने का हुक्म

सवाल: अगर किसी ने हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत में कुराने-करीम का तर्जुमा पढ़ा, लेकिन उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया; बल्कि, वह कोई ऐसा लेख पढ़ रहा था जिसमें कुराने-करीम की किसी आयत का तर्जुमा लिखा हुआ था। जवाब: हैज़ की हालत में या जनाबत की हालत …

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एक मर्द और पुरुष किस उंगली में अंगूठी पहने

सवाल: क्या मैं अपने बाएं हाथ की शहादत वाली उंगली या दरम्यानी उंगली में अंगूठी पहन सकता हूं? जवाब: मर्द के लिये सिर्फ एक चांदी की अंगूठी पहनना जाईज़ है, जो एक मिस्काल से ज़्यादा न हो (यानी 4.374 ग्राम से ज़्यादा न हो)। उन्हें चांदी की अंगूठी अपनी ख़िन्सर …

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क़ुरान-मजीद खत्म करने के बाद सूरह-बक़रह की पहेली पांच आयतें पढना

सवाल – क्या क़ुरान-मजीद पूरा करने के बाद सूरह-बक़रह की पहली पांच आयतें पढ़ना दुरूस्त है? उत्तर: हां, यह दुरूस्त है। हदीस-शरीफ़ में आया है कि जब कोई शख़्स क़ुराने-मजीद खत्म करते हुए सूरह-नास तक पहुँच जाए, तो उसे क़ुराने-करीम फिर से शुरू करना चाहिए और सूरह-फ़ातिहा और सूरह-बक़रह की …

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मर्द के लिए चांदी का कंगन पहनना

सवाल- मैं जानता हूं कि मर्द के लिए चांदी की अंगूठी पहनना जायज़ है, लेकिन क्या मर्द के लिए चांदी का कंगन पहनना जायज़ है? जवाब- यह जायज़ नहीं है। मर्द के लिए सिर्फ एक चांदी की अंगूठी पहनना जायज़ है, जो एक मिस्काल से ज़्यादा न हो (यानी 4.374 …

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फर्ज़ गुसल में कान की बाली के सूराखों के अंदरूनी हिस्से को धोना

सवाल: क्या गुसल करते वक़्त कान की बाली के सूराख़ों के अंदरूनी हिस्से को धोना फ़र्ज़ है? जवाब: हां, औरत के लिए फ़र्ज़ है कि जब वो फ़र्ज़ गुसल करे, तो बाली के सूराख़ों के अंदरूनी हिस्से को धोये। अल्लाह तआला ज्यादह जानने वाले हैं. (الفصل الأول في فرائضه) وهي …

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इस्तिबरा क्या है?

सवाल: इस्तिबरा क्या है और क्या इस्लाम में उस की इजाज़त है? जवाब: इस्तिबरा यह है कि कज़ाए-हाजत के बाद इतनी देर इन्तिज़ार क्या जाए कि इस बात का यकीन हो जाए कि पेशाब के बाकी कतरे निकल चुके हैं। इस्लाम में इस की न सिर्फ इजाज़त है; बल्कि अहम …

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टॉयलेट-बाथरूम के अंदर अख़बारात वग़ैरह पढ़ना

सवाल – क्या टॉयलेट-बाथरूम के अंदर, अपनी ज़रूरत को पूरा करने के दौरान अख़बारात, रीसाले वग़ैरह पढ़ना या फ़ोन और इंटरनेट वग़ैरह का इस्तेमाल करना दुरुस्त है? जवाब – टॉयलेट-बाथरूम क़ज़ाऐ-हाजत के लिए है, इस में फ़ोन वग़ैरह का इस्तेमाल करना या अख़बारात वग़ैरह का पढना मुनासिब नहीं है। अल्लाह …

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मासिक धर्म के दौरान तवाफ़ ज़ियारत करना

सवाल: एक महिला हाइज़ा है (मासिक धर्म से गुजर रही है) और उसे तवाफ़-ए-ज़ियारत करना है, लेकिन वह वापसी की तारीख के बाद ही हैज़ (मासिक धर्म) से पाक होगी, जबकि उसके पास फ्लाइट बुक है, तो क्या उसके लिए गुंजाइश है कि हैज़ की हालत में तवाफ़-ए-ज़ियारत कर ले …

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तवाफ़-ए-ज़ियारत को क़ुर्बानी के दिनों के बाद तक अनावश्यक रूप से स्थगित करना

सवाल: अगर हाजी ने शरई उज़र के बिना कुर्बानी के दिनों के बाद तक तवाफ़-ए-ज़ियारत को टाल दिया, तो शरीयत में इस पर क्या हुक्म है? जवाब: ज़ियारत के तवाफ़ को बिना शरई उज़्र के कुर्बानी के दिनों के बाद तक टालना जायज़ नहीं है। अगर कोई देर करेगा तो …

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