सवाल: एक महिला हाइज़ा है (मासिक धर्म से गुजर रही है) और उसे तवाफ़-ए-ज़ियारत करना है, लेकिन वह वापसी की तारीख के बाद ही हैज़ (मासिक धर्म) से पाक होगी, जबकि उसके पास फ्लाइट बुक है, तो क्या उसके लिए गुंजाइश है कि हैज़ की हालत में तवाफ़-ए-ज़ियारत कर ले …
और पढ़ो »तवाफ़-ए-ज़ियारत को क़ुर्बानी के दिनों के बाद तक अनावश्यक रूप से स्थगित करना
सवाल: अगर हाजी ने शरई उज़र के बिना कुर्बानी के दिनों के बाद तक तवाफ़-ए-ज़ियारत को टाल दिया, तो शरीयत में इस पर क्या हुक्म है? जवाब: ज़ियारत के तवाफ़ को बिना शरई उज़्र के कुर्बानी के दिनों के बाद तक टालना जायज़ नहीं है। अगर कोई देर करेगा तो …
और पढ़ो »ज़ियारत या उमरा का तवाफ़ बिना वज़ू किए करना
सवाल: अगर कोई शख्स बिना वुज़ू किये तवाफ़-ए-ज़ियारत या उमरे का तवाफ़ करे, तो शरीयत में उस का क्या हुक्म है? उत्तर: उस पर एक दम वाजिब होगा; अलबत्ता, अगर वह उस तवाफ़ को दोहरा ले, जो उसने वुज़ू के बगैर किया था, तो उस से दम गिर जाएगा। अल्लाह …
और पढ़ो »तवाफ़ के दौरान वुज़ू तोड़ना
सवाल: अगर तवाफ़ करते समय किसी शख्स का वुज़ू टूट जाये, तो उस को क्या करना चाहिये? जवाब: अगर तवाफ के दौरान किसी शख्स का वुज़ू टूट जाये, तो उस को चाहिये कि वह फौरन फिर से वुज़ू करे और दोबारा तवाफ़ शुरू करे। अगर वह चाहे तो वह उसी …
और पढ़ो »हज्ज की फ़रजियत के लिए कितने माल का मालिक होना ज़रूरी हैं?
सवाल – साहिबे-अहलो-अयाल (धर के मोभी) के पास कितना माल हो तो उस पर हज फ़र्ज़ होगा?
और पढ़ो »मैय्यत की क़ब्र
(१) मैय्यत को घर में दफन न किया जाए, चाहे वह नाबालिग हो या बालिग, नेक हो या बुरा। घर के अंदर दफ़न होना नबियों की ख़ुसूसियत (विशेषता) है। (२) क़ब्र को चौकोर बनाना मकरूह है. क़ब्र को ऊँट के कोहान की तरह थोड़ा-सा ऊँचा करना मुस्तह़ब और पसंदीदा है। …
और पढ़ो »(१७) जनाज़े से मुतफ़र्रिक़ मसाईल
कबर पर फुल चढ़ाने का हुकम सवाल: शरीयत में फुल चढ़ाना कैसा है? जवाब: कबर पर फुल चढ़ाना एक ऐसा अमल है, जिस का शरीअत में कोई सुबूत नहीं है; इसलिए उस से किनारा करना (बचना) ज़रुरी है। मय्यत के जिस्म से अलग हो जाने वाले आ’ज़ा (शरीर के अंग …
और पढ़ो »(१६) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
क़बर पर पौदे का ऊगना सवालः- अगर किसी क़बर पर पौदा उग जाऐ, तो क्या हमें उस का काटना ज़रूरी है? जवाबः- अगर क़बर पर पौदा ख़ुद बख़ुद उग जाऐ, तो उस को छोड़ दे. उस को काटने की ज़रूरत नहीं है. [१] क़बर पर पौदा लगाने अथवा टेहनी रखने …
और पढ़ो »नए इस्लामी साल की दुआ
सवाल – नये इस्लामी साल या नये इस्लामी महीने की कोई दुआ हदीस से साबित है या नहीं? बहोत से लोग ख़ास तौर पर उस दिन एक दूसरे को दुआएं भेजते हैं. उस की क्या हक़ीक़त है?
और पढ़ो »(१५) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
मय्यित की जनाज़ा नमाज़ और तदफ़ीन में देरी सवालः- अगर किसी ग़ैर मुलकी व्यक्ति का इन्तिक़ाल हो जावे और उस के घर वाले (जो उस के वतन में मुक़ीम (रेहने वाले) हैं) उस की लाश की मांग करें, तो क्या हमारे लिए उस की लाश को उन की तरफ़ भेजना …
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