(२) जनाज़ा को तेज़ी से ले कर चलना मसनून है, लेकिन दोड़ना नहीं चाहिए और न ही इतना ज़्यादह तेज़ चलना चाहिए के मय्यित का जिस्म एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ हिलने लगे...
Read More »जनाज़े की नमाज़ में ताख़ीर (देरी)
बड़ी जमाअत की उम्मीद में जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है. इसी तरह अगर किसी का जुम्आ के दिन इन्तिक़ाल हो जाए, तो यह उम्मीद कर के जुम्आ की नमाज़ के बाद ज़्यादह लोग जनाज़े की नमाज़ में शिर्कत करेंगे, जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है...
Read More »जनाज़े की नमाज़ की इमामत का सब से ज़्यादह हक़दार कौन है?
इस्लामी मुल्क में जनाज़े की नमाज़ की इमामत के लिए सब से मुक़द्दम मुस्लिम हाकिम है. शरीअत ने मुस्लिम हाकिम को जनाज़े की नमाज़ पढ़ाने का हक़ दिया है.
Read More »इमाम का चार तकबीरों से अधिक तकबीर केहना
अगर इमाम जनाज़े की नमाज़ में चार से अधिक तकबीर कहें, तो मुक़तदीयों को अधिक तकबीर में उन की इक़्तिदा(अनूसरता) नहीं करनी चाहिए, बलकि उन को ख़ामोश रेहना चाहिए और जब इमाम फेर कर नमाज़ संपूर्ण करे तो वह भी सलाम फेर कर नमाज़ संपूर्ण करेंगे. अलबत्ता अगर मुक़तदीयों को …
Read More »जनाज़े की नमाज़ में दैर से आना
(१) अगर कोई व्यक्ति जनाज़े की नमाज़ में इतनी दैर से पहुंचे के इमाम साहब एक या एक से अधिक तकबीरें संपूर्ण कर चुके हों, तो उस को “मसबूक़” (दैर से पहुंचने वाला) कहा जाएगा....
Read More »जनाज़े की नमाज को दोहराना
जब एक मर्तबा जनाज़े की नमाज़ अदा की जाए, तो दोबारा जनाजे की नमाज़ अदा करना जाईज़ नहीं है. मगार यह के अगर मय्यित का वली हाज़िर नहीं था और जनाज़े की नमाज़ उस की इजाज़त के बग़ैर अदा की गई हो, तो वली के लिए जनाज़े की नमाज़ का दोहराना दुरूस्त है...
Read More »सवारी में बैठ कर जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
एक वक़्त में अनेक मुरदों की जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
अगर एक वक़्त में बहोत सारे जनाज़े आ जाऐं, तो हर मय्यित की अलग अलग जनाज़े की नमाज़ अदा करना बेहतर है, लेकिन तमाम मुरदों की एक साथ एक जनाज़े की नमाज़ अदा करना भी जाईज़ है...
Read More »मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुकम
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मस्जिद के अंदर जनाज़े की नमाज़ अदा की, उस को कुछ भी षवाब नहीं मिलेगा.”...
Read More »इमाम और मुक़तदी से संबंधित अहकाम
(१) जनाज़े की नमाज़ में इमाम और मुक़तदी दोनों तकबीरें कहेंगे और दुआऐं पढ़ेंगे. दोनों मे मात्र इतना फ़र्क़ है के इमाम तकबीरें और सलाम बुलंद आवाज़ से कहेंगे और मुक़तदी आहिस्ता आवाज़ से कहेंगे. जनाज़े की नमाज़ की दीगर चीज़ें (षना, दुरूद और दुआ) इमाम और मुक़तदी दोनों आहिस्ता पढ़ेंगे...
Read More »क्या जनाज़े की नमाज़ में जामअत शर्त है?
जनाज़े की नमाज़ की सिह्हत के लिए जमाअत शर्त नहीं है. चुनांचे अगर एक शख़्स भी मय्यित की जनाज़े की नमाज़ अदा करले, तो जनाज़े की नमाज़ दुरूस्त होगी, चाहे वह(जनाज़े की नमाज़ पढ़ने वाला) मुज़क्कर(मर्द) यो या मुअन्नत(स्त्री), बालिग़ हो या नाबालिग़. हर सूरत में जनाज़ की नमाज़ अदा हो जाएगी...
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