सवाल:– एक व्यक्ति ने कोई सामान बेचने की निय्यत से ख़रीदा फिर उस ने बेचने का इरादा छोड़ दिया. कुछ दिनो के बाद फिर उस ने उस सामान को बेचने का इरादा किया, तो क्या दोबारा बेचने की निय्यत से उस सामान पर ज़कात फ़र्ज़ होगी?
और पढ़ो »ज़कात की रक़म से खाने पीने की चीज़ें ख़रीद कर ग़रीब को देना
सवाल:– क्या ज़कात की रक़म से खाने पीने की चीज़ें ख़रीद कर ग़रीबों को खिलाना जाईज़ है? क्या माहे-रमज़ान में ज़कात की रक़म से ग़रीबों को इफ़तार कराना जायज़ है?
और पढ़ो »हदिया अथवा क़र्ज़ की सूरत में ज़कात देना
सवाल:– अगर कोई आदमी किसी ग़रीब मुसलमान को कुछ पैसे हदये तथा क़र्ज़ के तौर पर दे दें और देते वक़्त वह ज़कात की निय्यत करे तो क्या इस तरह देने से उसकी ज़कात अदा हो जाएगी?
और पढ़ो »क़बर पर मिट्टी ड़ालने का तरीक़ा
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने “एक शख़्स की जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई फिर उस की क़बर पर आए और उस के सर की तरफ़ से तीन मर्तबा उस की क़बर पर मट्टी ड़ाली.”...
और पढ़ो »मय्यित की तदफ़ीन का तरीक़ा
मय्यित को क़िब्ले की तरफ से लाया जाए और क़बर में इस तरह उतारा जाए के मय्यित को उतारने वाले क़बर में क़िबले की तरफ़ रूख़ कर के खड़े हों. रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) सहाबए किराम (रज़ि.) को इसी तरह दफ़ण फ़रमाते थे....
और पढ़ो »तदफ़ीन से संबंधित मसाईल
(४) औरत के लिए जनाज़े के साथ क़बरस्तान जाना और तदफ़ीन में शिरकत करना ना जाईज़ है...
और पढ़ो »जनाज़े को क़ब्रस्तान तक ले जाने से संबंधित मसाईल
(१) अगर मय्यित शिशु (दुध पिता बच्चा) हो तथा उस से बड़ा हो, तो उस को क़बरस्तान ले जाने में नअश(मृत देह) (चारपाई) पर उठाया नही जाएगा, बलकि उस को हाथ पर उठा कर ले जाया जाएगा...
और पढ़ो »जनाज़ा उठाने का तरीक़ा
(२) जनाज़ा को तेज़ी से ले कर चलना मसनून है, लेकिन दोड़ना नहीं चाहिए और न ही इतना ज़्यादह तेज़ चलना चाहिए के मय्यित का जिस्म एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ हिलने लगे...
और पढ़ो »जनाज़े की नमाज़ में ताख़ीर (देरी)
बड़ी जमाअत की उम्मीद में जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है. इसी तरह अगर किसी का जुम्आ के दिन इन्तिक़ाल हो जाए, तो यह उम्मीद कर के जुम्आ की नमाज़ के बाद ज़्यादह लोग जनाज़े की नमाज़ में शिर्कत करेंगे, जनाज़े की नमाज़ में देर करना मकरूह है...
और पढ़ो »जनाज़े की नमाज़ की इमामत का सब से ज़्यादह हक़दार कौन है?
इस्लामी मुल्क में जनाज़े की नमाज़ की इमामत के लिए सब से मुक़द्दम मुस्लिम हाकिम है. शरीअत ने मुस्लिम हाकिम को जनाज़े की नमाज़ पढ़ाने का हक़ दिया है.
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