फ़तावा

एतेकाफ़ की नज़र मानना/ अपने ऊपर एतेकाफ़ लाज़िम करना

सवाल – अगर किसी शख़्स ने अपने ऊपर एतेकाफ़ को वाजिब कर दिया (मषलन उस ने नज़र मानी के अगर कोइ काम पूरा हो जाए, तो वह एतेकाफ़ करेगा), तो अगर वह काम पूरा हो जाए क्या उस को एतेकाफ़ में बैठना वाजिब होगा?

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एतेकाफ़ की हालत में रोज़ा टूट जाना

सवाल – रमज़ान के आख़री अशरे में अगर किसी मोअतकिफ़ का रोज़ा टूट जाए, तो क्या उस का सुन्नत एतेकाफ़ भी टूट जाएगा? अगर उस का सुन्नत एतेकाफ़ भी टूटेगा, तो क्या उस पर टूटे हुवे एतेकाफ़ की क़ज़ा लाज़िम होगी?

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एसे नाबालिग पर सदक़ए फ़ितर जिस को सुबह सादिक से पेहले माल हासिल हो

सवाल – क्या एसे नाबालिग़ पर सदक़ए फ़ितर वाजिब होगा, जिस को सुबह सादिक़ से पेहले ज़कात के निसाब के बराबर माल हासिल हुवा हो?

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इशा की नमाज़ अदा कीए बगैर तरावीह पढना

सवाल – अगर कोई शख़्स देर से मस्जिद आया, जबके इशा की जमाअत पूरी हो गई, तो क्या एसे आदमी को तरावीह में शामिल होना चाहिए इस से पेहले के वह इशा की नमाज़ पढ़े या पेहले वह इशा की नमाज़ पढ़े और फिर वह तरावीह में शामिल हो जाए?

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