सवाल – क्या हम आधी रात के बाद तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं?
और पढ़ो »तजवीद के क़वाईद की रिआयत के साथ क़ुर्आने करीम पढ़ना
सवाल – क्या तरावीह की नमाज़ में क़ुर्आन की तिलावत को तजवीद के साथ पढ़ना ज़रूरी है? बसा अवक़ात जलदी पढ़ने की वजह से तिलावत तजवीद के साथ नहीं होती है?
और पढ़ो »इमाम के अवसाफ़ (२)
सवाल – एक आदमी हाफ़िज़े क़ुर्आन है, उस के बारे में मालूम है के वह ग़लत सलत कामों में मुब्तला है, अपने मामूलात में वह बड़ा घोके बाज़ है और वह नशा आवर चीज़ों को इस्तेमाल करता है, तो क्या एसे आदमी को फ़र्ज़ नमाज़ अथवा तरावीह की नमाज़ के …
और पढ़ो »इमाम के अवसाफ़ (१)
सवाल – इमाम बनने के लिए (यअनी लोगों की इमामत करने के लिए) आदमी में कोनसे अवसाफ़ (गुणवत्ता) होना चाहिए?
और पढ़ो »तरावीह की नमाज़ चार चार तथा छ छ रकअत कर के पढ़ना
सवाल – एक इमाम साहब ने रमज़ान के महीने में बीस रकआत तरावीह की नमाज़ पढ़ाई. तरावीह के दौरान इमाम साहब तशह्हुद में बैठे बग़ैर तीसरी रकअत के लिए खड़े हो कर चार रकआत के साथ नमाज़ को मुकम्मल कर ली, तो क्या तरावीह की यह चार रकआत दुरूस्त हुई. …
और पढ़ो »तरावीह की नमाज़ की जगह क़ज़ा नमाज़ें पढ़ना
सवाल – अगर किसी केज़िम्मे बहोत क़ज़ा नमाज़ें हैं, क्या रमज़ान के महीने में तरावीह की नमाज़ के बदले क़ज़ा नमाज़ें पढ़ सकता है?
और पढ़ो »क़ज़ा की निय्यत से शव्वाल के छ रोज़े रखना
सवाल – में शव्वाल के छ नफ़ल रोज़े क़ज़ा की निय्यत से रखना चाहता हुं, अगर में उन छ नफ़ल रोज़ों को क़ज़ा की निय्यत से रखुं, तो क्या मुझे शव्वाल के उन छ नफ़ल रोज़ों का मख़सूस षवाब (जो हदीष शरीफ़ में वारिद है) मिलेगा?
और पढ़ो »शव्वाल के रोज़े की फ़ज़ीलत
सवाल – शव्वाल के छ रोज़े की फ़ज़ीलत वाली हदीष की क्या हैषियत है? क्या यह हदीष अमल के क़ाबिल है या नहीं? तथा हदीष के अलफ़ाज़ क्या हैं. बराए महेरबानी बता दिजीए.
और पढ़ो »किसी शख़्स का अपने परिवार के उन अफ़राद की तरफ़ से सदक़ए फ़ित्र अदा करना जिन की वह मदद नहीं करता है
सवाल – अगर कोई शख़्स अपनी बीवी और बालिग़ औलाद (जिन का खर्च वह खुद बरदाश्त नही करता है) की तरफ़ से उन की इजाज़त के बग़ैर उन का सदक़ए फ़ित्र अदा करे, तो क्या उन का सदक़ए फ़ित्र अदा हो जाएगा?
और पढ़ो »सदक़ए फ़ित्र वाजिब होने के बाद माल बरबाद हो जाना
सवाल – अगर किसी शख़्स ने सदक़ए फ़ित्र अदा नही किया और उस का सारा माल हलाक हो गया, तो क्या सदक़ए फ़ित्र का वुजूब उस के जिम्मे से साक़ित हो जाएगा?
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