क़यामत की निशानियां

दज्जाल के फ़ित्नो से कैसे बचें?

मुबारक हदीसों में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने अपनी उम्मत को हर ज़माने के फ़ित्नो और खास तौर पर दज्जाल के फ़ित्नो से हिफाज़त का तरीका सिखाया है; चुनांचे एक हदीस शरीफ में है कि हज़रत उक़्बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने एक मर्तबा रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम से दर्याफ्त किया कि ऐ अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम)! फ़ित्नो से नजात का रास्ता क्या है? रसूलुल्लाह सल्लल्लाह अलैहि व-सल्लम ने फ़र्माया: अपनी ज़बान को काबू में रखो, तुम्हारा घर तुम्हारे लिए काफी हो और अपने गुनाहों पर रोया करो। (सुननत्-तिर्मिज़ी, अर्-रक़म:2406)

(१) घर के अंदर रहना

पहली बात यह है कि इंसान को अपने घर में रहे और फ़ित्नों वाली जगहों से भागना चाहिए।

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बयान फ़र्माया है कि क़यामत से पहले फ़ित्नों का यह हाल होगा कि अगर कोई व्यक्ति उन की तरफ नज़र दालेगा, तो वह फौरन उस को अपने अंदर खींच लेगा।

जो कोई उस की तरफ देखने के लिए अपनी गर्दन ऊंची करेगा, वह उसे अपनी ओर खींच लेगा। (सहीह अल-बुखारी, अर-रक़म: 3601)

इसलिए, हर शख़्स अपनी और अपने घर-परिवार की नजात के लिए यह व्यवस्था करनी चाहिए कि वह और उसका परिवार हर उस सभा या जगह से बिल्कुल दूर रहें, जहाँ फ़ित्ना हो और खुलेआम लोग गुनाह के अंदर पड़े हुए हो (जैसे गाना-बजाना वग़ैरह)।

 

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