क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – २

तिलावत के फ़ज़ाईल

दुनिया नूर और आख़िरत में ख़ज़ाना

हज़रत अबु ज़र (रज़ि.) बयान करते हैं के में ने एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से अर्ज़ किया के ए अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई नसीहत फ़रमाऐं. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः तक़्वा को मज़बूती से पकड़ो, क्युंकि यह तमाम नेक आमाल की जड़ है (यअनी सब से उच्च अमल है). में ने अर्ज़ कियाः ए अल्लाह के रसूल ! मुझे अधिक नसीहत फ़रमाऐं. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः क़ुर्आने मजीद की तिलावत को मज़बूती से थामे रहो, क्युंकि यह तुम्हारे लिए दुनिया में नूर और आख़िरत में तुम्हारे लिए ख़ज़ाना है.

दिल की सफ़ाई और पाकीज़गी का एक ज़रीआ

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः दिलों को भी ज़ंग लग जाता है, जैसा के लोहे को पानी लगने से ज़ंग लगता है. सहाबए किराम (रज़ि.) से पूछाः ए अल्लाह के रसूल ! उन की सफ़ाई की क्या सूरत है? आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः मौत को कषरत से याद करना और क़ुर्आने मजीद की तिलावत करना. [१]

षवाब की सुरक्षा करने वाला फ़रिश्ता

हज़रत अली (रज़ि.) बयान करते हैं के नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के जब कोई बंदा मिस्वाक कर के नमाज़ के लिए खड़ा होता है, तो एक फ़रिश्ता उस के पीछे खड़ा हो जाता है और उस की तिलावत को (यअनी क़ुर्आने मजीद की तिलावत को) ग़ौर से सुनता है फिर वह फ़रिश्ता उस के क़रीब आता है, यहां तक के वह अपना मुंह उस के मुंह पर रख देता है. क़ुर्आने मजीद का जो हिस्सा भी वह तिलावत करता है, वह फ़रिश्ते के पेट में सुरक्षित हो जाता है (और उस के बाद अल्लाह तआला के यहां सुरक्षित हो जाता है) इस लिए क़ुर्आने मजीद की तिलावत करने से पेहले अपना मुंह ज़रूर साफ़ किया करें. [२]

अल्लाह तआला का क़ुर्आने मजीद की तिलावत करने वाले को ख़ुशी से सुनना

हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमाया के अल्लाह तआला किसी चीज़ को (इतनी ख़ुशी से) नहीं सुनता है, जितनी (ख़ुशी से) वह एक नबी को सुनता है जो सुरीली आवाज़ से क़ुर्आने मजीद की जहरी तिलावत करते है. [३]

क़ुर्आने मजीद के ख़तम के वक़्त दुआ की क़बूलियत

हज़रत इरबाज़ बिन सारिया (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के जो शख़्स (सहीह तरीक़े से) फ़र्ज़ नमाज़ पढ़े, (फिर वह दुआ करे) तो उस की दुआ ज़रूर क़बूल की जाएगी और जो शख़्स क़ुर्आने मजीद ख़तम करे (फिर वह दुआ करे) तो उस की दुआ ज़रूर क़बूल की जाएगी.

क़ुर्आने मजीद ख़तम करने वाले के लिए फ़रिश्तों की दुआऐं मग़फ़िरत

हज़रत सअद बिन अबा वक़्क़ास (रज़ि.) फ़रमाते हैं के जब कोई शख़्स शाम को क़ुर्आने मजीद ख़तम करता है, तो फ़रिश्ते उस के लिए सुबह तक दुआए मग़फ़िरत करते हैं और जब वह सुबह को क़ुर्आने मजीद ख़तम करता है, तो फ़रिश्ते उस के लिए  शाम तक दुआए मग़फ़िरत करते हैं.

अल्लाह तआला के यहां सब से महबूब अमल – क़ुर्आने मजीद की तिलावत

हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ि.) बयान करते हैं के एक मर्तबा एक शख़्स ने आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से सवाल किया के ए अल्लाह के रसूल ! कोन सा अमल अल्लाह तआला को सब से ज़्यादा पसंद है? आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः हाल और मुरतहिल (का अमल – हाल और मुरतहिल उस मुसाफ़िर को केहते हैं, जो सफ़र में रूकने के बाद दोबारा सफ़र शुरू करता है). उस शख़स ने दरयाफ़्त किया के (ए अल्लाह के रसूल) हाल और मुरतहिल से मुराद क्या मुराद है? आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः (हाल और मुरतहिल से मुराद) वह साहिबे क़ुर्आन है जो अव्वल क़ुर्आन से पढ़े, हत्ता के वह क़ुर्आन के अख़ीर तक पहोंचे और अख़ीर के बाद फिर वह अव्वल से पढ़े (यअनी वह पूर क़ुर्आन पढ़ता है और जब ख़तम करता है, तो वह दोबारा शुरू करता है).


[१] شعب الإيمان للبيهقي، الرقم: ۱۸۵۹، وإسناده ضعيف كما في المغني عن حمل الأسفار في الأسفار صــ ۳۲۳

[२] مسند البزار، الرقم: ۵۵٠، وقال العلامة الهيثمي رحمه الله في مجمع الزوائد، الرقم: ۲۵٦٤: رواه البزار ورجاله ثقات وروى ابن ماجه بعضه إلا أنه موقوف وهذا مرفوع

[३] صحيح البخاري، الرقم: ۷۵٤٤

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