फ़जर से पेहले जनाबत का ग़ुसल न करने की सूरत में रोज़े का हुकम

सवाल – अगर किसी ने रमज़ान के महीने में एक दिन फ़जर की नमाज़ से पेहले जनाबत का ग़ुसल नहीं किया, बलके उस ग़ुसल को मुअ की नमाज़ से पेहले ग़ुसल जनाबत का ग़ुसल किया, तो क्या उस का रोज़ा दुरूस्त होगा?

जवाब – हां, उस का रोज़ा दुरूस्त होगा, लेकिन वह गुनेहगार होगा, क्युंकि उस ने ग़ुसल में ताख़ीर (देरी) करने की वजह से फ़जर की नमाज़ वक़्त पर अदा नहीं की.

अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.

وعن أبي قلابة ، عن بعض أزواج النبي صلى الله عليه وسلم ، أن رسول الله صلى الله عليه وسلم كان يصبح جنبا من غير احتلام ثم يصوم رواه مسدد ورجاله ثقات. (إتحاف الخيرة المهرة ۲۳۲۸)

दारूल इफ़्ता, मद्रसा तालीमुद्दीन

इसिपिंगो बीच, दरबन, दक्षिण अफ्रीका

Source: http://muftionline.co.za/node/3235

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