मजालिस (परिषदों) की ज़ीनत

عن ابن عمر رضي الله عنهما قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: زينوا مجالسكم بالصلاة علىّ فإن صلاتكم علي نور لكم يوم القيامة (الفردوس بمأثور الخطاب، الرقم: ٣٣٣٠)

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि अल्लाहु अन्हुमा) से रिवायत है के, रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मुझ पर दुरूद भेज कर अपनी मजलिसों (परिषदों) को ज़ीनत बख़्शो (ख़ूबसूरत बनावो). क्योंकि तुम्हारा दुरूद तुम्हारे लिए क़यामत के दिन नूर का कारण बनेगा.”

बहुत ज़ि्य़ादह दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत

हज़रत सअद ज़नजानी ने (अल्लाह उन पर रहम करे) ऐक बार यह वाक़ीआ बयान किया के, मिसर में अबू सईद ख़य्यात नाम का ऐक ज़ाहिद आदमी था. वह लोगों से मेल-मिलाप नहीं रखते थे. और न ही लोगों की मजलिसों (परिषदों) में शरीक होते थे(एकांतवास पसंद आदमी थे).

कुछ दिनों के बाद लोगों ने देखा के वह पाबंदी से इब्ने रशीक़ (अल्लाह उन पर रहम करें) की मजलिस (परिषद) में शरीक हो रहे हैं, तो लोगो ने उन से आश्चर्यता से पूछा के क्या माजरा है?

उन्होंने जवाब दिया के में ने ख़्वाब में रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की ज़ियारत की तो आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने मुझ से फ़रमायाः “इब्ने रशीक़ की मजलिस में शिरकत करो, कयोंकि वह मुझ पर बहुत ज़ि्य़ादह दुरूद भेजते हैं.” (अल-क़वलुल बदीअ – १३१)

يَا رَبِّ صَلِّ وَ سَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

 Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=5967 & http://whatisislam.co.za/index.php/durood/item/379

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