हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“मालियात में तक़वा बहोत कम देखा जाता है. अफ़आल और आमाल तो आज कल बहोत हैं. तहज्जुद चाश्त इशराक विर्द वजीफ़े तो बहुत मगर यह बात बहुत कम है के माल से मोह तथा मोहब्बत न हो, तथा हो मगर फिर भी सावधान रहें, तो यह उस से बढ़ कर है.” (मलफ़ूज़ाते हकीमुल उम्मत १०/२७)
नोट:- यअनी अगर कोई आदमी इबादत करे लेकिन वह माली उमूर में सावधानी न करे और वह मुश्तबेह और हराम कमावे और खाए, तो जो कुछ षवाब वह इबादत से हासिल करेगा, तो वह मुश्तबेह और हराम माल कमाने और खाने से इबादत का सारा षवाब ज़ाएअ करेगा.
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