सवाल – में दांत का डाकटर हुं. एक मरीज़ को तुरंत इलाज की ज़रूरत है. उदाहरण के तौर पर उस के दांतों के दरमियान ज़ख़म है और उस में पीप भर गई है. अब उस को फ़ौरी तौर पर साफ़ करना है.
तो (१) क्या रोज़े की हालत में उस का इलाज करना दुरूस्त है? (यह बात ज़हन नशीं रहे के उस मरीज़ को इन्जेक्शन लगाना ज़रूरी होगा और जिस जगह की सफ़ाई की जाएगी, वहां से ख़ून निकलेगा. यदी मरीज़ के मुंह में पानी डालने की भी ज़रूरत पेश आ सकती है).
(२) क्या उस रोज़ की क़ज़ा वाजिब होगी.
(३) क्या रोज़े के दौरान सामान्य हालत में (जबके इमरजन्सी न हो) सामान्य तौर पर इलाज करना दुरूस्त है. जबके इस बात की पूरी कोशिश कि जाएगी के मरीज़ के हलक़ में पानी न जाए?
जवाब – रोज़ेदार व्यक्ति के लिए बेहतर यह है के दांत की सफ़ाई वग़ैरह को रोज़े के ख़तम होने तक रोके रखे. अलबत्ता अगर फ़ौरी इलाज की ज़रूरत हो, तो इस बात की पूरी कोशिश की जाए के मरीज़ के हलक़ के अंदर पानी या ख़ून न जाए. और अगर पूरी सावधानी के बावजूद हलक़ के अंदर पानी या ख़ून चला जाए, तो उस दिन रोज़े की सिर्फ़ क़ज़ा वाजिब होगी. कफ़्फ़ारा वाजिन नहीं होगा.
अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.
(وإن أفطر خطأ كأن تمضمض فسبقه الماء)
قال العلامة ابن عابدين -رحمه الله – (قوله وإن أفطر خطأ) شرط جوابه قوله التي قضى فقط وهذا شروع في القسم الثاني وهو ما يوجب القضاء دون الكفارة … (قوله فسبقه الماء) أي يفسد صومه إن كان ذاكرا له (رد المحتار ۲ /٤٠۱)
وإن تمضمض أو استنشق فدخل الماء جوفه إن كان ذاكرا لصومه فسد صومه وعليه القضاء (الفتاوى الهندية ج۱ /۲٠۲)
قال في الهداية وإن أكل مخطئا أو مكرها فعليه القضاء عندنا فالمخطئ هو أن يكون ذاكرا للصوم غير قاصد للشرب كما إذا تمضمض وهو ذاكر للصوم فسبق الماء إلى حلقه (الجوهرة النيرة ۱/ ۱۳۸)
(ولو كان) أي الأكل والشرب (مخطئا أو مكرها) بفتح الراء (فعليه القضاء )الفرق بين النسيان والخطأ أن الناسي قاصد للفعل ناس الصوم، والمخطئ ذاكر للصوم غير قاصد للفعل صورة المخطئ إذا تمضمض فسبق الماء حلقه وصورة المكره صب الماء في حلق الصائم كرها (البناية ٤/ ۳۷)
باب ما يفسد الصوم من غير كفارة وهو سبعة وخمسون شيئا… أفطر خطأ بسبق ماء المضمضة إلى جوفه قال العلامة الشرنبلالي- رحمه الله – أفطر خطأ بسبق ماء المضمضة أو الاستنشاق إلى جوفه أو دماغه لوصول المفطر محله والمرفوع في الخطأ الإثم (مراقي الفلاح ص ۲۵۱)
(ويجب القضاء فقط) بغير كفارة (لو أفطر خطأ) كما إذا تمضمض فدخل الماء حلقه وعند أحمد والشافعي في قول في الخطأ لا يفسده كالنسيان (مجمع الأنهر۱/ ۲٤۱)
قال أصحابنا إذا تمضمض أو استنشق فوصل الماء إلى جوفه أو دماغه أفطر وهو قول الشافعي في القديم والأم وقال في البويطي والأمالي واختلاف العراقيين لا يفطر ومن أصحابه من قال لا فرق بين أن يبالغ ولا يبالغ في أنه لا يفطر (التجريد للقدوري ۳/ ۱۵۳٦)