عن جابر رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صلى علي في كل يوم مائة مرة قضى الله له مائة حاجة سبعين منها لآخرته و ثلاثين منها لدنياه (أخرجه ابن منده وقال الحافظ أبو موسى المديني: إنه غريب حسن، كذا في القول البديع صـ 277)
हजीर जाबिर रदि अल्लाहु ‘अन्हु से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि “जो शख्स मुझ पर हर दिन सो (१००) बार दुरूद भेजता है, अल्लाह त’आला उस की सो (१००) ज़रूरतें पूरी करेंगेः सत्तर (७०) ज़रूरतें उस की आख़िरत की जिंदगी के बारे में और तीस (३०) ज़रूरतें उस की दुनयवी जिंदगी से संबंधित.”
दुरूद शरीफ़ नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की शफ़ाअत के हु़सूल का ज़रीआ
हज़रत क़ुतुब हलबी रहिमहुल्लाह फ़रमाते हैं के एक मर्तबा मेरी मुलाक़ात हज़रत अबु इस्हाक़ इबराहीम बिन ‘अली बिन ‘अतिय्यह तलीदमी रहिमहुल्लाह से हुई.
उन्होंने मुझ से बयान किया के “मुझे ख़्वाब में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम की ज़ियारत नसीब हुई. तो मैं ने आप सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम से दर्खास्त की कि आप क़यामत के दिन मेरी सिफ़ारिश फ़रमाऐं.
आप सल्लल्लाहु ‘अलैहि वसल्लम ने जवाब दियाः मुझ पर कषरत से दुरूद भेजा करो.” (अल क़वलुल बदीअ़)
يَا رَبِّ صَلِّ وَسَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ