अगर नाबालिग़ बच्चा जो अक़ल व शुऊर की उमर को नहीं पहुंचा हो मर जाए और उस के वालिदैन में से एक मुसलमान हो और दूसरा काफ़िर हो, तो उस बच्चे को मुसलमान समझा जाएगा और उस की जनाज़े की नमाज़ अदा की जाएगी.
अलबत्ता अगर नाबालिग़ बच्चा जो अक़ल व शुऊर की उमर को पहुंच चुका हो मर जाए और अपने गैर मुस्लिम बाप या मां के मज़हब को क़बूल कर लिया हो, तो उस को ग़ैर मुस्लिम माना जाएगा और न तो उस की तजहीज़ व तकफ़ीन(इस्लामी तरीक़े के मुताबिक़) की जाएगी और न ही उस की जनाज़ा नमाज़ अदा की जाएगी. [१]
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[१] قوله ( كصبي سبي مع أحد أبويه ) أي لا يصلى عليه لأنه تبع لهما للحديث كل مولود يولد على الفطرة فأبواه يهودانه إلى آخره وتقدم في غسل الجنابة معنى الفطرة وأفاد بقوله ( إلا أن يسلم أحدهما ) أنه يصلي عليه لإسلامه تبعا للمسلم منهما لأنه يتبع خيرهما دينا (البحر الرائق ۲/۲٠۳)