अज़ान और इक़ामत की सुन्नतें और आदाब-(भाग-१७)

मग़रिब की अज़ान के वक़्त की दुआः

मग़रिब की अज़ान के दरमियान या मग़रिब की अज़ान के बाद निम्नलिखित दुआ पढ़ें[१]:

اللّٰهُمَّ إِنَّ هٰذَا إِقْبَالُ لَيْلِكَ وَإِدْبَارُ نَهَارِكَ وَأَصْوَاتُ دُعَاتِكَ فَاغْفِرْ لِيْ

ए अल्लाह ! बेशक यह रात के आने का और दीन की जाने का वक़्त है और यह आप के पुकारने वाले बंदों (मुअज़्ज़िनीन) की आवाज़े हैं जो आप की तरफ़ बुला रहे हैं. आप मेरे गुनाहों की मग़फ़िरत फ़रमाइए.

عن أم سلمة رضي الله عنها قالت: علمني رسول الله صلى الله عليه وسلم أن أقول عند أذان المغرب: اللهم إن هذا إقبال ليلك وإدبار نهارك وأصوات دعاتك فاغفر لي (سنن أبي داود رقم ۵۳٠)[२]

हज़रत उम्मे सलमा(रज़ि.) ने फ़रमाया के रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने मुझे तालीम फ़रमाई के में मग़रिब की अज़ान के समय निम्नलिखित दुआ पढुं:

اللّٰهُمَّ إِنَّ هٰذَا إِقْبَالُ لَيْلِكَ وَإِدْبَارُ نَهَارِكَ وَأَصْوَاتُ دُعَاتِكَ فَاغْفِرْ لِيْ

Source: http://ihyaauddeen.co.za/?cat=7597


[१] الظاهر أن يقال هذا بعد جواب الأذان أو في أثنائه (مرقاة ۲/۳٦۵)

[२] قال الحاكم: هذا حديث صحيح ولم يخرجاه والقاسم بن معن بن عبد الرحمن بن عبد الله بن مسعود رضي الله عنه من أشراف الكوفيين وثقاتهم ممن يجمع حديثه ولم أكتبه إلا عن شيخنا أبي عبد الله رحمه الله. وأقره الذهبي وقال صحيح (المستدرك للحاكم رقم ۷۱٤)

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