नए इस्लामी साल की दुआ

सवाल – नए इस्लामी साल या नए इस्लामी महीने की कोई दुआ हदीष से षाबित है या नहीं? बहोत से लोग ख़ास तौर पर उस दिन एक दूसरे को दुआऐं भेजते हैं. उस की क्या हक़ीक़त है?

जवाब – हां, हदीष शरीफ़ में वारिद है के सहाबए किराम (रज़ि.) नए इस्लामी साल या नए इस्लामी महीने के आग़ाज़ में निम्नलिखित दुआ सिखते थे और पढ़ते थे.

اللَّهُمَّ أَدْخِلْهُ عَلَيْنَا بِالْأَمْنِ، وَالْإِيمَانِ، وَالسَّلَامَةِ، وَالْإِسْلَامِ، وَرِضْوَانٍ مِنَ الرَّحْمَنِ، وَجِوَارٍ مِنَ الشَّيْطَانِ

ए अल्लाह! उस को (इस नए माह तथा नए साल को) हमारे ऊपर अमनो इमान, सलामती और इस्लाम, अल्लाह तआला की रज़ामंदी और शैतान से हिफ़ाज़त के साथ दाख़िल किजीए.

अल्लाह तआला ज़्यादा जानने वाले हैं.

حدثنا محمد بن علي الصائغ قال: نا مهدي بن جعفر الرملي قال: نا رشدين بن سعد، عن أبي عقيل زهرة بن معبد، عن جده عبد الله بن هشام قال: كان أصحاب النبي صلى الله عليه وسلم، يتعلمون هذا الدعاء إذا دخلت السنة أو الشهر: اللهم أدخله علينا بالأمن، والإيمان، والسلامة، والإسلام، ورضوان من الرحمن، وجوار من الشيطان.

لا يروى هذا الحديث عن عبد الله بن هشام إلا بهذا الإسناد، تفرد به رشدين بن سعد.(المعجم الأوسط ،الرقم :6241، وقال الهيثمي في مجمع الزوائد: رواه الطبراني في الأوسط، وإسناده حسن ، الرقم: ۱۷۱۵٠)

दारूल इफ़्ता, मद्रसा तालीमुद्दीन

इसिपिंगो बीच, दरबन, दक्षिण अफ्रीका

 

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