हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः “जिस ने मस्जिद से गंदगी साफ़ की, अल्लाह तआला उस के लिए जन्नत में घर बनाऐंगे.”....
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-६)
(२) मस्जिद में किसी आदमी को उस की जगह से उठान ताकि उस की जगह दूसरा आदमी बेठे, जाईज़ नहीं है...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ४
निकाह की कामयाबी के लिए और मियां बिवी के दरमियान स्नेह व मुहब्बत बाक़ी रेहने के लिए ज़रूरी है के दोनों एक दूसरे के समान और बराबर हो. जब मियां बिवी में जोड़ हो, तो बाहमी स्नेह और एकता होगी और हर एक ख़ुशी और मुहब्बत के साथ अपनी वैवाहिक ज़िम्मेदारीयों को पूरा करेगा...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-५)
रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस व्यक्ति ने जुम्आ के दिन लोगों की गरदनें फांदी, उस ने (अपने लिए) जहन्नम में जाने का पुल बना लिया.”...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ३
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अम्र (रज़ि.) फ़रमाते हैं के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के दुनिया मालो मताअ और लज़्ज़त के योग्य चीज़ों से भरी हुई है और इन तमाम चीज़ों में सब से बेहतरीन दौलत “नेक बीवी” है...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-४)
(३) मस्जिद में किसी से लड़ाई और झगड़ा न करें, इसलिए के यह मस्जिद की बेहुरमती है...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-३)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर(रज़ि.) फ़रमाते हैं के “रसूलुल्लाह (सल्लललाहु अलयहि वसल्लम) ने मस्जिद में बैतबाज़ी(अंत्याक्षरी), खरीदो फ़रोख़्त(ख़रीदना तथा बैचना) और मस्जिद में जुम्आ के दिन नमाज़ से पेहले हलक़ा लगाने से मना किया है(चुंके हलक़े की हालत पर बैठना ख़ुत्बे की तरफ़ ध्यान केंन्द्रीत करने से मानेअ है).”...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – २
निकाह का मुख्य उद्देश्य यह हे के मियां-बीवी पाकीज़ा ज़िंदगी गुज़ारें और एक दूसरे की सहायता करें अल्लाह तआला के हुक़ूक़(अधिकार) और हुक़ूक़े ज़वजिय्यत(वैवाहिक अधिकार) पूरा करने में...
और पढ़ो »मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-२)
हज़रत अबू क़तादा (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जब तुम में से कोई मस्जिद में दाख़िल हो, तो उसे चाहिए के बैठने से पेहले दो रकात नमाज़ अदा करे.”...
और पढ़ो »निकाह़ की सुन्नतें और आदाब – १
निकाह हमारे रसूल (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम,) की मुबारक सुन्नतों में से हैं और अल्लाह तआला के बड़े इन्आमात में से भी हैं. क़ुर्आने मजीद में अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने निकाह को अपनी क़ुदरत की बड़ी निशानियों में से एक निशानी शुमार किया है...
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