पेहली रकअत के दूसरे सजदे के बाद तकबीर केह कर दूसरी रकअत के लिये खड़े हो जायें...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ५
तकबीर कहें और मामूल के अनुसार दूसरे सजदे में जायें (दूसरा सजदा करें)...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ४
दोनों पैरों को ऊंगलियों के सहारे ज़मीन पर इस तरह रखें के ऊंगलियों का रूख़ क़िब्ले की तरफ़ हो. सजदे की हालत में दोनों पैरों की ऐड़ियों को मिला कर रखना या उन को अलाहिदा रखना दोनों जाईज़ हैं. हदीष शरीफ़ में दोनों तरीक़े वारिद हैं...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ११
रात की इब्तिदा ग़ुरूबे शम्स से होती है और इन्तिहा सुबह सादिक़ के वक़्त होती है. जहां तक दिन के अवक़ात की बात है, तो बेहतर यह है के शौहर दिन के अवक़ात भी अपनी बीवीयों के दरमियान बराबरी के साथ गुज़ारे (अगरचे उस में बराबरी ज़रूरी नहीं है)...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ३
तकबीराते इन्तेक़ालिया (वह तकबीरें जो नमाज़ में एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने के दौरान कहीं जाती हैं) की इब्तिदा उस वक़्त करें, जब आप एक हयअत से दूसरी हयअत की तरफ़ मुनतक़िल होने लगें और दूसरी हयअत पर पहोंच कर ख़तम कर दें. मषलन, जुं ही आप क़याम से रूकुअ के लिये झुकना शुरूअ करें, तो तकबीर शुरूअ कर दें और रूकुअ तक पहोंच कर तकबीर ख़तम कर दें...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – २
तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को सीधा रखें. तकबीरे तहरीमा केहते वक़्त अपने सर को न तो आगे की तरफ़ झुकायें और न पीछे की तरफ़, बलके बिलकुल सीधा रखें...
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – १०
दूसरे शब्दों में युं कहा जाये के चुंके उस ने एक बीवी के अधिकार (हुक़ूक़) को पूरा किया और दूसरी बीवी के अधिकार (हुक़ूक़) को पूरा न किया, बलके उस पर ज़ुलम किया, तो उस के पादाश में क़यामत के रोज़ उस को यह सज़ा दी जायेगी...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – १
नमाज़ से पेहले (१) नमाज़ के वक़्त से पेहले ही नमाज़ के लिये अच्छी तरह तय्यारी कीजीये. शारिरीक तय्यारी के साथ साथ आप को मानसिक रूप से इस बात का पूरे तौर पर एहसास होना चाहिये के आप अल्लाह तआला की बारगाह में हाज़िर होने वाले हैं. [१] (२) हर …
और पढ़ो »निकाह की सुन्नतें और आदाब – ९
अगर एक घर के अन्दर परिवार के एसे सदस्य भी रेहते हों, जो औरत के लिये नामहरम हों, तो नामहरम मर्द और औरत के लिये ज़रूरी है के घर के अन्दर भी परदे का पूरा एहतेमाम करें...
और पढ़ो »नमाज़ की सुन्नतें और आदाब
मुसलमानों के जिवन में नमाज़ की जो महान महत्तवता है, वह बयानकी मोहताज नहीं है. नमाज़ की महत्तवता और महानता के लिए बस इतना ही काफ़ी है के क़यामत के दीन सब से पेहले जिस अमल के बारे में सवाल होगा वह नमाज़ है...
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