सुननो आदाब

क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – ३

क़ुर्आने मजीद की तिलावत की सुन्नतें और आदाब (१) क़ुर्आने मजीद की तिलावत करने से पेहले इस बात का प्रबंध करें के आप का मुंह साफ़ हो. हज़रत अली (रज़ि.) फ़रमता हे हैं के बेशख तुम्हारे मुंह क़ुर्आन मजीद के लिए रास्ते हैं (यअनी क़ुर्आने मजीद की तिलावत मुंह से …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब – ३

तलाक़ की सुन्नतें और आदाब (१) शौहर जल्द बाज़ी अथवा ग़ुस्से की हालत में अपनी बिवी को तलाक़ न दे, बलकि तलाक़ देने से पेहले उस को चाहिए के वह संजीदगी से इस मामले पर अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करे. अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करने के बाद अगर उस को …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब – २

वैवाहिक विवाद को ख़तम करना जब मियां बिवी के दरमियान तलाक़ के ज़रीए फ़ुरक़त (जुदाई) होती है, तो उस वक़्त दो अफ़राद जुदा नहीं होते हैं, बलके दो ख़ानदानों में अलाहीदगी होती है. उस के अलावह अगर मियां बिवी के बच्चे हों, तो मियां बिवी की अलाहीदगी की वजह से …

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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब- १

तलाक़ निकाह का मक़सद यह है के मियां बिवी पाकीज़ा ज़िन्दगी गुज़ारें और एक दूसरे को अल्लाह तआला के अधिकार और आपस के अधिकार पूरा करने में मदद करें. जिस निकाह में मियां बिवी उलफ़त तथा मोहब्बत के साथ रहें और एक दूसरे के मिज़ाज तथा जज़बता को समझते हुए …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १६

हुरमते मुसाहरत (१) अगर कोई औरत किसी मर्द को शहवत (वासना) के साथ हाथ लगाए, तो हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी. जब हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी, तो उस मर्द के लिए उस औरत की मां और औरत की दादी (और दादी की मां …

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क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – २

तिलावत के फ़ज़ाईल दुनिया नूर और आख़िरत में ख़ज़ाना हज़रत अबु ज़र (रज़ि.) बयान करते हैं के में ने एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से अर्ज़ किया के ए अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई नसीहत फ़रमाऐं. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः तक़्वा को मज़बूती से पकड़ो, क्युंकि …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १५

रज़ाअत के अहकाम (१) जितने रिश्ते नसब के एतेबार से हराम है वह रिश्ते रज़ाअत (दूघ पिलाने) के एतेबार से भी हराम है यअनी जिन औरतों से नसब की वजह से निकाह करना हराम है, उन औरतों से रज़ाअत (दूघ पिलाने) की वजह से भी निकाह करना हराम है. मिषाल …

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क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – १

उम्मत का सब से महान इन्आम अल्लाह सुब्हानहु वतआला ने उम्मते मुहम्मदिया अला साहिबिहा अलफ़ अलफ़ सलातो सलाम को एक एसा समुन्दर अता किया है जिस का कोई साहिल नहीं है. यह समुन्दर प्रकार प्रकार के हीरे, जवाहिरात, मोतियों और अनमोल ख़ज़ानों से भरा हुवा है. जो व्यक्ति जितना ज़्यादा …

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हज्ज और उमरह की सुन्नतें और आदाब – ११

नेक आमाल के ज़रीए नफ़ल हज्ज के षवाब का हुसूल अगर किसी शख़्स के पास हज्ज करने के लिए माली वुस्अत न हो, तो उस का यह मतलब नहीं है के एसे शख़्स के लिए दीनी तरक़्क़ी और अल्लाह तआला की मोहब्बत के हुसूल का कोई और तरीक़ा नहीं है, …

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मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब – ३

मदीना मुनव्वरह की सुन्नतें और आदाब (१) हज्ज तथा उमरह अदा करने के बाद आप इस बात का प्रबंध करें के आप मदीना मुनव्वरह जाऐं और रवज़ए मुबारक की ज़ियारत करें, क्युंकि हदीष शरीफ़ में नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के जिस शख़्स ने हज्ज किया और …

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