मुहर्रम और आशूरा अल्लाह तआला का निज़ाम (प्रणाली) है के उनहोंने कुछ चीज़ों को कुछ चीज़ों पर विशेष फ़ज़ीलत और ऎहमीयत (महत्वता) दी है. चुनांचे ईन्सानों में से अम्बीयाए किराम अलयहिमुस्सलातु वस्सलाम को दीगर लोगों पर ख़ास फ़वक़ियत (प्राथमिकता) और फ़ज़ीलत दी गई है. दुन्या के दीगर हिस्सों के बनिस्बत …
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(१) ज़िल हिज्जह के पेहले दस दिनों में ख़ूब इबादत करें. इन दस दिनों में इबादत करने की बहोत ज़्यादा फ़ज़ीलतें वारिद हुई हैं. हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है के नबिए करीम सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया के “जो भी नेक अमल साल के …
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विभिन्नन मवाक़ेअ और समयो के लिए मसनून सूरतें बाज़ विशेष सूरतों के बारे में अहादीषे मुबारका में आया है के उन्हें रात और दिन के विशेष समयो अथवा हफ़ते के विशेष दिनों में पढ़ा जाए, लिहाज़ा इन सूरतों को निश्चित समयो में पढ़ना मुस्तहब हैः (१) सोने से पेहले सुरए …
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तलाक़ के प्रकार दीने इस्लाम में तलाक़ के तीन प्रकार हैंः (१) तलाक़े रजई (२) तलाक़े बाईन (३) तलाक़े मुग़ल्लज़ा (१) तलाक़े रजई (जिस के बाद शौहर को रूजूअ का हक़ है) उस तलाक़ को केहते हैं जहां शौहर स्पष्ट (सरीह लफ़ज़े तलाक़) तलाक़ शब्द बोल कर के अपनी बीवी …
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क़ुर्आने मजीद की तिलावत की सुन्नतें और आदाब (१) क़ुर्आने मजीद की तिलावत करने से पेहले इस बात का प्रबंध करें के आप का मुंह साफ़ हो. हज़रत अली (रज़ि.) फ़रमता हे हैं के बेशख तुम्हारे मुंह क़ुर्आन मजीद के लिए रास्ते हैं (यअनी क़ुर्आने मजीद की तिलावत मुंह से …
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तलाक़ की सुन्नतें और आदाब (१) शौहर जल्द बाज़ी अथवा ग़ुस्से की हालत में अपनी बिवी को तलाक़ न दे, बलकि तलाक़ देने से पेहले उस को चाहिए के वह संजीदगी से इस मामले पर अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करे. अच्छी तरह ग़ौरो फ़िकर करने के बाद अगर उस को …
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वैवाहिक विवाद को ख़तम करना जब मियां बिवी के दरमियान तलाक़ के ज़रीए फ़ुरक़त (जुदाई) होती है, तो उस वक़्त दो अफ़राद जुदा नहीं होते हैं, बलके दो ख़ानदानों में अलाहीदगी होती है. उस के अलावह अगर मियां बिवी के बच्चे हों, तो मियां बिवी की अलाहीदगी की वजह से …
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तलाक़ निकाह का मक़सद यह है के मियां बिवी पाकीज़ा ज़िन्दगी गुज़ारें और एक दूसरे को अल्लाह तआला के अधिकार और आपस के अधिकार पूरा करने में मदद करें. जिस निकाह में मियां बिवी उलफ़त तथा मोहब्बत के साथ रहें और एक दूसरे के मिज़ाज तथा जज़बता को समझते हुए …
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हुरमते मुसाहरत (१) अगर कोई औरत किसी मर्द को शहवत (वासना) के साथ हाथ लगाए, तो हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी. जब हुरमते मुसाहरत दोनों के दरमियान षाबित हो जाएगी, तो उस मर्द के लिए उस औरत की मां और औरत की दादी (और दादी की मां …
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तिलावत के फ़ज़ाईल दुनिया नूर और आख़िरत में ख़ज़ाना हज़रत अबु ज़र (रज़ि.) बयान करते हैं के में ने एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से अर्ज़ किया के ए अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई नसीहत फ़रमाऐं. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः तक़्वा को मज़बूती से पकड़ो, क्युंकि …
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