मलफ़ूज़ात

तकलीफ़ का कारण न बनना

इस ज़माने में दुरूद शरीफ़ और इस्तिग़फ़ार की कषरत रखी जावे और उस की कोशिश की जावे के किसी रफ़ीक़(साथी) को मेरी तरफ़ से तकलीफ़ न पहुंचे और अगर किसी की तरफ़ से हक़ तलफ़ी(किसी को उन के अधिकारो से वंचित करना) और तअद्दी(अन्याय) हो तो उस पर इल्तिफ़ात(ध्यान) न किया जावे...

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हर शख़्स को अपनी इस़लाह़ की फ़िकर की ज़रूरत है

हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी(रह.) ने एक मर्तबा फ़रमायाः आजकल यह मर्ज़(रोग) भी आम(सामान्य) हो गया है के अकषर लोग दूसरों के पीछे पड़े हुए हैं अपनी मुत़लक़ फ़िकर नहीं...

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दाढ़ी मुंड़वाने का नुक़सान

हज़रत शैख़ मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा फ़रमायाः आज लोग दाढ़ी मुंड़वाने को गुनाह नहीं समझते, एक दफ़ा हुज़ूरे अकरम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के पास दो काफ़िर क़ासिद (संदेशा पहोंचाने वाला) आए वोह दाढ़ी मुंड़े थे, हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने मुंह फैर लिया...

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