हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “शैतान का यह बहोत बड़ा घोका और फ़रेब है के वह भविष्य में बड़े काम की उम्मीद बंघा कर उस छोटे ख़ैर के काम से रोक देता है जो फ़िलहाल मुमकिन होता है. वह चाहता है के बंदा उस वक़्त …
और पढ़ो »नुसरत का मदार
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “फ़तहो नुसरत का मदार क़िल्लत(कमी) और कषरत(ज़्यादती) पर नहीं वह चीज़ ही और है. मुसलमानों को सिर्फ़ उसी एक चीज़ का ख़्याल रखना चाहिए यअनी ख़ुदा तआला की रिज़ा फिर काम में लग जाना चाहिए, अगर कामयाब हों शुकर …
और पढ़ो »सालिहीन की इत्तेबाअ
प्यारो ! आदमी अपने आप से नहीं बढ़ता अल्लाह जल्ल शानुहु जैसे बढ़ावे वही बढ़ता है अपने आप को ख़ूब गिरावो, अपने समकालिन (मुआसिरीन) में से हर एक को अपने से बड़ा समझो...
और पढ़ो »दीन की नींव को मज़बूत करना
हमारे नज़दीक उम्मत की अव्वल ज़रूरत यही है के उन के क़ुलूब (दिलों) में पेहले सहीह इमान की रोशनी पहोंच जाए...
और पढ़ो »अल्लाह तआला का मामला बंदे की आशा के अनुसार
अल्लाह तआला अपने बंदे के साथ रहमत और फ़ज़ल ही का मामला फ़रमाते हैं वह किसी की मेहनत और तलब को बेकार अथवा फ़रामोश (भूलते) नही फ़रमाते...
और पढ़ो »लोगों को दीन की तरफ़ राग़िब करना
मौतो हयात का एतेबार नहीं, याद रखो, एक वसिय्यत करता हुं नसीहत करता हुं वह यह के जहां तक हो सके हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इत्तेबा की कोशिश करो. दूसरी बात जो इस वक़्त केहनी है वह यह के...
और पढ़ो »दीन की तलब तथा क़दर पैदा करना
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारे नज़दीक इस वक़्त उम्मत की असल बीमारी दीन की तलब तथा क़दर से उन के दिलों का ख़ाली होना है. अगर दीन की फ़िकर तथा तलब उन के अन्दर पैदा हो जाए और दीन की महत्तवता का शुऊर तथा …
और पढ़ो »अस्लाफ़ की तरक़्क़ी और मौजूदा तरक़्क़ी
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “मौजूदा (दौर की) तरक़्क़ी का हासिल तो हिर्स (लालच) है और शरीअत ने हिर्स (लालच) की जड़ काट दी है. सहाबए किराम (रज़ि.) ने जो हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के नमूना थे कहीं एसे ख़्याल को अपने दिल में …
और पढ़ो »हमारे बड़ों के अख़लाक़
“हम ने अपने बड़ों के मुतअल्लिक़ सुना के लोग उन के हालात देख कर और उन की सूरतों को देख कर ही मुसलमान हो जाया करते थे, एक हम हैं के हमारे अख़लाक़ देख कर लोग कहां जाएं.”...
और पढ़ो »नमाज़ दीन का स्थंभ है
नमाज़ को हदीष में “इमादुद्दीन” (दीन का स्थंभ) फ़रमाया गया है. उस का यह मतलब है के नमाज़ पर बाक़ी दीन निलंबित है, और वह नमाज़ ही से मिलता है. नमाज़ में दीन का तफ़क्कुह (ज्ञान) भी मिलता है...
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