हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारी तबलीग़ का हासिल यह है के आाम दीन दार मुसलमान अपने ऊपर वालों से दीन को लें और अपने नीचे वालों को दें. मगर नीचे वालओं को अपना मोहसिन समझें. क्युंकि जितना हम कलिमे को पहोंचाऐंगे फैलाऐंगे उस से …
और पढ़ो »हंमेशा नफ़ा देने वाला निवेष
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दुनिया का कोई काम भी बग़ैर मेहनत, श्रम के नही हो सकता , तिजारत हो, ज़िराअत हो, सब में पापड़ बेलने पड़ते हैं. इसी तरह दीन का काम भी बग़ैर श्रम के नहीं हो सकता, मगर दोनों में …
और पढ़ो »सिहत की दौलत
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हक़ तआला के एहसानात लातादाद तथा ला तुहसो (अनगिनत तथा न गिने जानेवाले) हैं. मषलन सिहत एक एसी चीज़ है के तमाम सलतनत उस के बराबर नहीं. अगर किसी बादशाह को मरज़ (बीमारी) लाहिक़ हो जाए और तमाम सलतनत …
और पढ़ो »इख़्लास के साथ मुजाहदा करना
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “अगर कोई शख़्स अपने को तबलीग़ का अहल नहीं समझता तो उस को बेठा रेहना हरगिज़ नहीं चाहिए, बलके उस को तो काम में लगने और दूसरों को उठाने की और ज़्यादा कोशिश करना चाहिए, बाज़ दफ़ा एसा होता है …
और पढ़ो »अख़लाक़ और निस्बत
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दूसरी बात यह है के निस्बत अलग है और अख़लाक़ अलग हैं. निस्बत ख़ास तअल्लुक़ मअल्लाह है जितना बढ़ावोगे बढ़ेगा घटावोगे घटेगा और एक है अख़लाक़. अख़लाक़ का तअल्लुक़ हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सीरते तय्यिबा से है …
और पढ़ो »अच्छे कर्म करने के अवसर का लाभ
हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “शैतान का यह बहोत बड़ा घोका और फ़रेब है के वह भविष्य में बड़े काम की उम्मीद बंघा कर उस छोटे ख़ैर के काम से रोक देता है जो फ़िलहाल मुमकिन होता है. वह चाहता है के बंदा उस वक़्त …
और पढ़ो »नुसरत का मदार
हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “फ़तहो नुसरत का मदार क़िल्लत(कमी) और कषरत(ज़्यादती) पर नहीं वह चीज़ ही और है. मुसलमानों को सिर्फ़ उसी एक चीज़ का ख़्याल रखना चाहिए यअनी ख़ुदा तआला की रिज़ा फिर काम में लग जाना चाहिए, अगर कामयाब हों शुकर …
और पढ़ो »सालिहीन की इत्तेबाअ
प्यारो ! आदमी अपने आप से नहीं बढ़ता अल्लाह जल्ल शानुहु जैसे बढ़ावे वही बढ़ता है अपने आप को ख़ूब गिरावो, अपने समकालिन (मुआसिरीन) में से हर एक को अपने से बड़ा समझो...
और पढ़ो »दीन की नींव को मज़बूत करना
हमारे नज़दीक उम्मत की अव्वल ज़रूरत यही है के उन के क़ुलूब (दिलों) में पेहले सहीह इमान की रोशनी पहोंच जाए...
और पढ़ो »अल्लाह तआला का मामला बंदे की आशा के अनुसार
अल्लाह तआला अपने बंदे के साथ रहमत और फ़ज़ल ही का मामला फ़रमाते हैं वह किसी की मेहनत और तलब को बेकार अथवा फ़रामोश (भूलते) नही फ़रमाते...
और पढ़ो »