(१) अगर कोई व्यक्ति जनाज़े की नमाज़ में इतनी दैर से पहुंचे के इमाम साहब एक या एक से अधिक तकबीरें संपूर्ण कर चुके हों, तो उस को “मसबूक़” (दैर से पहुंचने वाला) कहा जाएगा....
और पढ़ो »जनाज़े की नमाज को दोहराना
जब एक मर्तबा जनाज़े की नमाज़ अदा की जाए, तो दोबारा जनाजे की नमाज़ अदा करना जाईज़ नहीं है. मगार यह के अगर मय्यित का वली हाज़िर नहीं था और जनाज़े की नमाज़ उस की इजाज़त के बग़ैर अदा की गई हो, तो वली के लिए जनाज़े की नमाज़ का दोहराना दुरूस्त है...
और पढ़ो »मुहब्बत का बग़ीचा
आज भी अगर मुसलमान अपने अख़लाक़ तथा आदतों और अपनी ज़िंदगी को रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के शिक्षणों तथा हिदायात(बताई हुई बातों) पर अमल कर लें, तो आंखों ने जो मन्ज़र सहाबए किराम के ज़माने में देखा था, इस दौर में भी वो मन्ज़र नज़र आएगा...
और पढ़ो »सवारी में बैठ कर जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
एक वक़्त में अनेक मुरदों की जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुक्म
अगर एक वक़्त में बहोत सारे जनाज़े आ जाऐं, तो हर मय्यित की अलग अलग जनाज़े की नमाज़ अदा करना बेहतर है, लेकिन तमाम मुरदों की एक साथ एक जनाज़े की नमाज़ अदा करना भी जाईज़ है...
और पढ़ो »मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुकम
हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मस्जिद के अंदर जनाज़े की नमाज़ अदा की, उस को कुछ भी षवाब नहीं मिलेगा.”...
और पढ़ो »इमाम और मुक़तदी से संबंधित अहकाम
(१) जनाज़े की नमाज़ में इमाम और मुक़तदी दोनों तकबीरें कहेंगे और दुआऐं पढ़ेंगे. दोनों मे मात्र इतना फ़र्क़ है के इमाम तकबीरें और सलाम बुलंद आवाज़ से कहेंगे और मुक़तदी आहिस्ता आवाज़ से कहेंगे. जनाज़े की नमाज़ की दीगर चीज़ें (षना, दुरूद और दुआ) इमाम और मुक़तदी दोनों आहिस्ता पढ़ेंगे...
और पढ़ो »क्या जनाज़े की नमाज़ में जामअत शर्त है?
जनाज़े की नमाज़ की सिह्हत के लिए जमाअत शर्त नहीं है. चुनांचे अगर एक शख़्स भी मय्यित की जनाज़े की नमाज़ अदा करले, तो जनाज़े की नमाज़ दुरूस्त होगी, चाहे वह(जनाज़े की नमाज़ पढ़ने वाला) मुज़क्कर(मर्द) यो या मुअन्नत(स्त्री), बालिग़ हो या नाबालिग़. हर सूरत में जनाज़ की नमाज़ अदा हो जाएगी...
और पढ़ो »समुद्र में ड़ूब कर या कुंऐ में गिर कर मरना
अगर कोई व्यक्ति समुद्र में ड़ूब जाए और उस की लाश न मिले, तो उस के लिए न तो ग़ुसल है और न ही कफ़न और जनाज़े की नमाज़...
और पढ़ो »किसी दुर्घटना तथा प्राकृतिक आपदा की वजह से मौत
कोई व्यक्ति किसी दुर्घटना तथा प्राकृतिक आपदा(आसमानी आफ़त) की वजह से मर जाए और उस के शरीर का अक्सर हिस्सा सहीह सालिम हो, तो उस को सामान्य तरीक़े के मुताबिक़ ग़ुसल और कफ़न दिया जाएगा और उस की जनाज़े की नमाज़ अदा की जाएगी...
और पढ़ो »आसमानी बिजली से या आग से मर जाने वाले की कफ़ण दफ़न और जनाज़े की नमाज़
अगर कोई व्यक्ति आसमानी बिजली के गिरने की वजह से या आग में जल कर मर जाए और उस का शरीर सहीह सालीम हो(अंग बिखरे न हो), तो उस को साधारण तरीक़े के अनुसार ग़ुसल दिया जाएगा...
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