بسم الله الرحمن الرحيم ख़ैरो बरकत की चाबी रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के ज़माने में एक दफ़ा क़बीलए बनु अशअर का एक प्रतिनिधिमंडल यमन से हिजरत कर के मदीना मुनव्वरा पहुंचा. मदीना मुनव्वरा पहुंचने के बाद उस प्रतिनिधिमंडल का तोशा ख़तम हो गया, तो उन्होंने एक आदमी को नबीए …
और पढ़ो »मरज़ुल मौत (मौत की बीमारी)
अगर कोई शख़्स मरज़ुल मौत में हो, मगर किसी और सबब से मर जाये (मिषाल के तौर पर वह आख़री दरजे के केन्सर में मुब्तला हो, मगर वह गाड़ी के हादषे की वजह से मर जाये) तब भी इस बीमारी को “मरज़ुल मौत” कहा जायेगा...
और पढ़ो »मुसलमान की गर्भवती ईसाई या यहूदी बिवी की तदफ़ीन कहां की जाये?
अगर गर्भवती महीला औरत मर जाये और उस के पेटे में बच्चा जिवीतत हो, तो बच्चे को आपरेशन के द्वार निकाला जायेगा और अगर बच्चा जिवीत न हो, तो उस को नहीं निकाला जायेगा...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (बारहवां प्रकरण)
हम दुआ गो हैं के अल्लाह तआला हमारी औरतों में सिफ़ते “हया” को ज़िन्दा फ़रमाऐं और उन्हें नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सुन्नतों और अज़वाजे मुतह्हरात के तरीक़ों पर अमल करने की तौफ़ीक़ अता फ़रमायें. आमीन...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (ग्यारहवां प्रकरण)
अल्लाह तआला ने फल की ख़ूबसूरती और हिफ़ाज़त के लिए "छिलका" बनाया है, जब "छिलका" उतर जाता है, तो फल की ख़ूबसूरती ख़तम हो जाती है और वह महफ़ूज़ नहीं रेहता है, बलके वह बहोत जल्द ख़राब हो जाता है...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (दसवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم घरों में बरकत और ख़ुशहाली कैसे आएगी? एक मर्तबा रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) सफ़र में थे. उसी उषना (दरमियान) में हज़रत आंयशा (रज़ि) ने घर के दरवाज़े पर एक परदा लटका दिया, जिस पर जानदार की तस्वीरें थीं, क्युंकि उस वक्त तक हज़रत आंयशा (रज़ि.) …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (नवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला और मख़लूक़ की अमानत अदा करने की महत्तवता अज्ञानता का युग और इस्लाम की शरूअत में उषमान बिन तलहा ख़ानऐ काअबा की चाबी के ज़िम्मेदार थे. उन का मामूल था के वह हर हफ़्ते पीर और जुमेरात के दिन ख़ानए काअबा का दरवाज़ा खोलते …
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (आठवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم जन्नत की कुंजी इस्लाम ही वह वाहिद मज़हब है जो अल्लाह तआला से मुहब्बत का रास्ता सिखाता है और जन्नत तक ले जाता है. इस्लामी तालीमात पर अमल करने से बंदे को अल्लाह तआला की ख़ुश्नुदी और दुनिया और आख़िरत में कामयाबी मिलती है. इस्लाम के …
और पढ़ो »क़बर पर मिट्टी ड़ालने का तरीक़ा
हज़रत अबु हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने “एक शख़्स की जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई फिर उस की क़बर पर आए और उस के सर की तरफ़ से तीन मर्तबा उस की क़बर पर मट्टी ड़ाली.”...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (सातवां प्रकरण)
بسم الله الرحمن الرحيم अल्लाह तआला की महान नेअमत हज़रत अय्यूब (अलै.) अल्लाह तआला के जलीलुल क़द्र नबी थे. जो अल्लाह तआला की तरफ़ से तीव्र रोग से आज़माए गए. चन्द साल के सबर के बाद बिलआख़िर अल्लाह तआला ने उन्हें अपने फ़ज़लो करम से शिफ़ा अता फ़रमाई. उन्हें शिफ़ा …
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