अल्लाह सुब्हानहु वतआला ने इन्सान को बेशुमार नेअमतों से नवाज़ा है. कुछ नेअमतें शारिरिक हैं और कुछ नेअमतें रूहानी हैं. कभी एक नेअमत एसी होती है के वह बेशुमार नेअमतों को शामिल होती है. मिषाल के तौर पर आंख एक नेअमत है, मगर...
और पढ़ो »(८) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
सवालः- मय्यित को ग़ुसल किस को देना चाहिए? कभी कभी मय्यित के ग़ुसल के वक़्त कुछ लोग मात्र देखने के लिए आ जाते हैं, जबके मय्यित के परिवार वाले इस को पसन्द नहीं करते हैं, तो क्या परिवार वाले उन लोगों को मनअ कर सकते हैं?...
और पढ़ो »(७) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
बाज़ जगहों पर हम देखते हैं के जब मय्यित को ग़ुसल दिया जाता है, तो उस का सतर खुल जाता है क्या यह दुरूस्त है?...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (अठारहवां प्रकरण)
सहाबए किराम (रज़ि.) दीनी और दुन्यवी दोनों एतेबार से बेहद कामयाब थे और उन की कामयाबी तथा कामरानी का राज़ यह था के उन के दिलों में दुन्यवी मालो मताअ की मोहब्बत नहीं थी और वह हर समय तमाम ऊमूर में अल्लाह तआला की इताअत तथा फ़रमां बरदारी करते थे...
और पढ़ो »(६) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसअला
मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों (हाथ, पैर, नाक और घुटनों) पर काफ़ूर मलना अफ़ज़ल है. अलबत्ता काफ़ूर का पेस्ट बनाना और उस को मय्यित की पेशानी और सजदे की जगहों पर लगाना दुरूस्त नहीं है, क्युंकि यह सुन्नत के ख़िलाफ़ है और उस से चेहरा और दीगर अंग बदनुमा मालूम होते हैं...
और पढ़ो »(५) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाइल
ग़ुसल देने के वक़्त मय्यित को जिस तरह से भी रखना आसान हो उसी तरह उस को रखो, उस के लिए कोई विशेष सिम्त (दिशा) नियुक्त नहीं है...
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जो व्यक्ति अल्लाह तआला की विशेष रहमत का तालिब है उसे चाहिए के वह पांच वक़्त की नमाज़ें जमाअत के साथ पाबंदी के साथ मस्जिद में अदा करे, तमाम गुनाहों से बचना और मख़लुक के साथ शफ़क़त तथा हमदरदी के साथ पेश आए और उन के अधिकार अदा करे...
और पढ़ो »(४) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसअला
शहीद पर ग़ुसल वाजिब नहीं है, लिहाज़ा अगर किसी शख़्स को क़तल कर दिया गया हो, तो उस को उस के ख़ून के साथ दफ़न कर दिया जाएगा और उस को ग़ुसल देना वाजिब नहीं होगा, अगरचे...
और पढ़ो »(३) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल
सवालः क्या मय्यित के क़रीब रिश्तेदार औरतें तअज़ियत करे या मोहल्ले की दूसरी औरतें भी तअज़ियत कर सकती हैं? जवाबः तअज़ियत सुन्नत है और तअज़ियत की सुन्नत मय्यित के क़रीबी रिश्तेदारों के साथ मख़सूस नहीं है. बलके मय्यित के क़रीबी रिश्तेदार और वह लोग जो मय्यित के रिश्तेदार नहीं हैं सब तअज़ियत कर सकते हैं...
और पढ़ो »मोहब्बत का बग़ीचा (सोलहवां प्रकरण)
अल्लाह तआला ने दुनिया को सब से बेहतरीन शकल में पैदा किया है और उस का निज़ाम इतना मुसतहकम(मज़बूत) बनाया है के दुनिया का हर चीज़ मुकम्मल व्यवस्थित अंदाज़ मां अल्लाह तआला की इच्छा के अनुसार चल रही है...
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