लेख

क़यामत की अलामात (संकेत)- दूसरा प्रकरण

उलमाए किराम ने क़यामत की अलामतों को दो हिस्सों में तक़सीम किया हैः बड़ी अलामतें और छोटी अलामतें. छोटी अलामतों में सब से पेहली अलामत नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की इस दुनिया से रिहलत (जाना) है और बड़ी अलामतों में सब से पेहली अलामत इमाम महदी (अलै.) का ज़ुहूर (ज़ाहिर होना) है...

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मोहब्बत का बग़ीचा (बाईसवां प्रकरण)‎

अहादीषे मुबारका से अच्छी तरह स्पष्ट हो गया के इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार के मुतअल्लिक़ बहोत ज़्यादा महत्तवता दी गई हैं, लिहाज़ा हमें चाहिए के उन के तमाम अधिकार को अदा करने की भरपूर कोशिश करें...

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इत्तेबाए सुन्नत का एहतेमाम – १

हम दुआ गो हैं के अल्लाह सुब्हानहु वतआला हम सब को अपनी ज़िन्दगी में नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) की सुन्नतों पर मज़बूती से अमल करने में हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ (रज़ि.) और तमाम सहाबए किराम (रज़ि.) के नक़्शे क़दम (पदचिन्हों) पर चलने की तौफ़ीक़ मरहमत फ़रमाऐं. आमीन...

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मोहब्बत का बग़ीचा (एकिसवां प्रकरण)‎

ए बिशर ! तुम ने हमारा नाम ज़मीन से उठाया और उस में ख़ुश्बू लगाई, बेशक हम तुम्हारा नाम दुनिया और आख़िरत में रोशन करेंगे. इस अमल की वजह से अल्लाह तआला ने मुझे यह स्थान अता फरमाया है...

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जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल (१३)

मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान ज़िकर करना सवालः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना कैसा है? जवाबः- मय्यित को ग़ुसल देने के दौरान बुलंद आवाज़ से दुरूद शरीफ़ पढ़ना अथवा कोई और ज़िकर करना सुन्नत से षाबित नहीं है. अलबत्ता ग़ुसल …

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(१२) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

पानी मौजूद न होने की सूरत में मय्यित को तयम्मुम कराना सवालः- अगर पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को किस तरह से ग़ुसल दिया जाए? जवाबः- अगर एक शरई मील की मसाफ़त के बक़दर (या उस से ज़्यादा) पानी मौजूद न हो, तो मय्यित को तयम्मुम कराया जाएगा. [१] …

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मोहब्बत का बग़ीचा (बीसवां प्रकरण)‎

بسم الله الرحمن الرحيم उम्मते मुस्लिमा की इस्लाह की फ़िकर हज़रत उमर (रज़ि.) कि ख़िलाफ़त के ज़माने में एक शख़्स मुल्के शाम से हज़रत उमर (रज़ि.) की मुलाक़ात के लिए मदीना मुनव्वरा आता था. यह शामी शख़्स मदीना मुनव्वरा में कुछ वक़्त क़याम करता था और हज़रत उमर (रज़ि.) की …

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(११) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

मय्यित के जिस्म से जुदा अंग का ग़ुसल सवालः- बसा अवक़ात एसा होता है के मय्यित के जिस्म से बाज़ अंग जुदा होते हैं मषलन गाड़ी के हादसे वग़ैरह में मय्यित के कुछ अंग टूट जाते हैं और जिस्म से जुदा होते हैं, तो क्या ग़ुसल के समय उन अलग …

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(१०) जनाज़े से संबंधित मुतफ़र्रिक़ मसाईल

ग़ुसल के शुरू में जब मय्यित को वुज़ू कराया जाए, तो कहां से शुरू करना चाहिए यअनी पेहले मय्यित के हाथों को गट्टों समैत धोया जाए या पेहे चेहरा धोया जाए?...

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