लेख

ग़ैर मुस्लिम रिश्तेदार को ग़ुसल देना

अगर किसी मुसलमान के क़रीबी ग़ैरमुस्लिम रिश्तेदार का मृत्यु हो जाए, तो उस की लाश उस के(मय्यित के)ग़ैरमुस्लिम रिश्तेदार के हवाले कर दी जाए या उन लोगों के हवाले कर दी जाए जो मय्यित के धर्म के माननेवाले हैं. और अगर मय्यित के ग़ैरमुस्लिम रिश्तेदार न हों या ग़ैरमुस्लिम रिश्तेदार हों...

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न पहचानने योग्य लाशों को कैसे दफनाया जाए?

अगर मुसलमानों और ग़ैर मुस्लिमों का एक साथ इन्तेक़ाल (मृत्यु) हो जाए (जैसा के भूकंप और बाढ़ वग़ैरह में होता है) और मुसलमानों और ग़ैर मुस्लिमों की लाशों में फ़र्क करना अशक्य हो, तो उस की विभिन्न सूरतें है...

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इस्लाम क़बूल करने का तरीक़ा

जो शख़्स इस्लाम क़बूल करना चाहे, तो उस के लिए ज़रूरी है के वह गवाही दे के अल्लाह तआला तमाम मख़लूक के हक़ीक़ी माबूद हैं और वह अपनी ज़ात व सिफ़ात में तन्हा हैं और उस का कोई हिस्सेदार नहीं है...

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हालते एहराम में इन्तेक़ाल होने वाले की तजहिज़ व तकफ़ीन

अगर किसी शख़्स का हालते एहराम में इन्तेक़ाल हो जाए(चाहे उसने हज का एहराम बांधा हो या उमरह का), उस की तजहिज़ व तकफ़ीन साधारण हालात में मरने वाले की तरह की जाएगी यअनी उस को शरीअत के अनुसार ग़ुसल दिया जाऐगा और कफ़न पहनाया जाएगा...

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मुसलमान औरत(स्त्री) की ग़ैर मौजूदगी में मुसलमान औरत को ग़ुसल देने के अहकाम(आदेश)

अगर किसी की बीवी(पत्नी) का इन्तेक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाली कोई मुस्लिम औरत(स्त्री) मौजूद न हो, फिर भी शोहर(पति) के लिए जाईज़ नहीं है के उस को ग़ुसल दे या उस के बदन को नंगे हाथ मस करे...

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मुतफ़र्रिक़ मसाईल

अगर ग़ुसल देने वाला मुसलमान आदमी मौजूद न हो, तो मुरदा आदमी को कैसे ग़ुसल दिया जाए? अगर किसी आदमी का इन्तिक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाला कोई मुसलमान आदमी मौजूद न हो...

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मय्यित का चेहरा देखना और फ़ोटो खींचना

(१) सिर्फ महरम औरत के लिए जाईज़ है के मय्यित(मर्द) का चेहरा देखे. (२) इसी तरह सिर्फ महरम मर्द के लिए जाईज़ है के उस मय्यिता(औरत) का चेहरा देखे...

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