लेख

कयामत की निशानियां – सातवां एपीसोड

पहला हिस्सा: दज्जाल के तीन खास हथियार: दौलत, औरत और खेलकूद जब दज्जाल लोगो के सामने आयेगा तो लोगो को गुमराह करने के लिए तीन खास हथियार इस्तेमाल करेगा और वो तीन हथियार दौलत, औरत और खेलकूद हैं। अल्लाह तआला उसे बाज़ ऐसे काम अंजाम देने की ताकत अता करेगा …

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क़यामत की निशानियां

दज्जाल के फ़ित्नो से कैसे बचें? मुबारक हदीसों में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने अपनी उम्मत को हर ज़माने के फ़ित्नो और खास तौर पर दज्जाल के फ़ित्नो से हिफाज़त का तरीका सिखाया है; चुनांचे एक हदीस शरीफ में है कि हज़रत उक़्बा बिन आमिर रज़ियल्लाहु अन्हु ने एक मर्तबा …

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बाग़े मोहब्बते (चौंतीसवाँ एपिसोड)

एक अज़ीम वली – हज़रत फ़ुज़ैल बिन अयाज़ रह़िमहुल्लाह हज़रत फ़ुज़ैल बिन अयाज़ रह़िमहुल्लाह अपने ज़माने के एक बड़े मुहद्दिस और अज़ीम वली थे। अल्लाह तआला ने उन्हें हदीस के फ़न में इतना बुलंद मक़ाम अता फ़रमाया था कि बड़े बड़े मुहद्दिस जैसे हज़रत अब्दुल्ला बिन मुबारक रह़िमहुल्लाह, हज़रत सुफ़ियान …

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अम्र बिल-मारूफ और नही अनिल-मुन्कर की जिम्मेदारी – आठवां एपिसोड

रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की चार बुनियादी जिम्मेदारियाँ रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम इस दुनिया में लोगों के बीच दीन क़ाइम (स्थापित) करने के लिए भेजे गए और इस अहम और अज़ीम (महान) मकसद को पुरा करने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को चार जिम्मेदारियाँ दी गईं। इन चार जिम्मेदारियों …

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क़यामत की निशानियां – क़िस्त ६

दज्जाल के दस जिस्मानी और इन्सानी लक्षण मुबारक हदीस में नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम ने उम्मत के सामने दज्जाल के जिस्मानी और इन्सानी औसाफ़ बयान फ़र्माए हैं। रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का दज्जाल के जिस्मानी और इन्सानी औसाफ़ को बयान करना इस हकीक़त की तरफ इशारा करता है कि दज्जाल …

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इत्तेबाए सुन्नत का एहतेमाम – ७

शेखुल-इस्लाम हजरत मौलाना हुसैन अहमद मदनी रह़िमहुल्लाह शेखुल-इस्लाम हज़रत मौलाना हुसैन अहमद मदनी रह़िमहुल्लाह एक सैय्यद थे, यानी आप अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम के खानदान में से थे और जलीलुल-क़द्र आलिमे-दीन थे। आप १२९६ हिजरी (सन ईस्वी १८७९) में पैदा हुए और ८१ साल की उम्र में १३७७ …

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बागे-मुहब्बत (तैंतीसवाँ एपिसोड)

नेक,सालेह आलिम से मशवरा करने की अहमियत “हर फन में उसके माहिर लोगों से मशवरा तलब करना” एक उसूल और ज़ाब्ता है, जो आम तौर पर बयान किया जाता है और जिंदगी के तमाम मरहलों में उस पर अमल किया जाता है। मिसाल के लिए, सोचें कि एक शख़्स अपने …

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अम्र बिल मारूफ़ और नही अनिल मुनकर की ज़िम्मे दारी – प्रकरण-७

लोगों की इस्लाह के वक्त रसूले करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अंदाज हज़रत हसन और हज़रत हुसैन रदि अल्लाहु ‘अन्हुमा का एक बूढ़े शख्स को वुज़ू का सही तरीका सिखाना एक बार मदीना मुनव्वरा में एक बूढ़ा शख्स आया। नमाज़ के वक्त जब वो वुज़ू करने लगा, तो हज़रत हसन …

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क़यामत की निशानियां – क़िस्त ५

दज्जाल के बारे में अहले सुन्नत वल-जमआत का ‘अकीदा दज्जाल की जाहिर होने और उसकी फितनो का जिक्र ‘अकाईद की किताबों में आया है। ‘उलमा ए ‘अकाईद इस बात पर सहमत हैं कि दज्जाल जाहिर होने पर ईमान रखना अहले सुन्नत वल-जमात की ‘अकीदों का हिस्सा है। वो हदीसें जिनमें …

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इत्तेबाए सुन्नत का एहतेमाम – ६

हजरत मुफ़्ती महमूद हसन गंगोही रहिमहुल्लाह हज़रत मुफ़्ती महमूद हसन गंगोही रहिमहुल्लाह हमारे बुजुर्गाने किराम और बड़े लोगों में से थे, जिनका ज़माना हमसे ज़्यादा दूर नहीं है। उनकी पैदाइश 1325 हिजरी में हुई और वह हज़रत शेखु-ल-ह़दीस मौलाना मुह़म्मद ज़कारिया कांधलवी रहिमहुल्लाह के अजल्ले-खुलफा में से थे। वो कई …

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