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सुरए तीन की तफ़सीर

क़सम है इन्जीर की और ज़ैतून की (१) और तूरे सीनीन (सयना के पहाड़) की (२) और इस अमन वाले शहर की(मक्का मुअज़्ज़मा की) (३)...

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मस्जिद में जनाज़े की नमाज़ अदा करने का हुकम

हज़रत अबू हुरैरह (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “जिस ने मस्जिद के अंदर जनाज़े की नमाज़ अदा की, उस को कुछ भी षवाब नहीं मिलेगा.”...

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दुरूद शरीफ़ क़यामत के दिन नूर का कारण

हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “मुझ पर दुरूद भेज कर अपनी मजलिसों को सुशोभित करो, क्युंकि तुम्हारा दुरूद तुम्हारे लिए क़यामत के दिन नूर का कारण बनेगा.”...

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आख़िरत की तय्यारी

इन्सान का क़याम ज़मीन के ऊपर बहोत कम है और ज़मीन के नीचे उस को उस से बहोत ज़्यादह क़याम करना है. या युं समझो के दुन्या में तुम्हारा क़याम है बहोत अल्प समय के लिए, और उस के बाद जिन जिन स्थानों पर ठहरना है...

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निकाह़ की सुन्नतें और आदाब – १

निकाह हमारे रसूल (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम,) की मुबारक सुन्नतों में से हैं और अल्लाह तआला के बड़े इन्आमात में से भी हैं. क़ुर्आने मजीद में अल्लाह सुब्हानहु व तआला ने निकाह को अपनी क़ुदरत की बड़ी निशानियों में से एक निशानी शुमार किया है...

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