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निकाह की सुन्नतें और आदाब – ५

(३) वलीमा भी सादगी के साथ किया जाए. नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का मुबारक फ़रमान है के “सब से बाबरकत वाला निकाह वह है, जिस में कम ख़र्च हो (यअनी निकाह और वलीमा सादा किया जाए और इसराफ़ और फ़ुज़ूल ख़र्ची से बचा जाए).”...

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मस्ज़िद की सुन्नतें और आदाब- (भाग-७)

हज़रत अबु सईद ख़ुदरी (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः “जिस ने मस्जिद से गंदगी साफ़ की, अल्लाह तआला उस के लिए जन्नत में घर बनाऐंगे.”....

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जनाज़े को क़ब्रस्तान तक ले जाने से संबंधित मसाईल

(१) अगर मय्यित शिशु (दुध पिता बच्चा) हो तथा उस से बड़ा हो, तो उस को क़बरस्तान ले जाने में नअश(मृत देह) (चारपाई) पर उठाया नही जाएगा, बलकि उस को हाथ पर उठा कर ले जाया जाएगा...

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जुम्आ के दिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने की बरकत से दीनी और दुनयवी ज़रूरतों की तकमील

सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने हज़रत उषमान (रज़ि.) को मक्का मुकर्रमह भेजा, ताकि वह मक्का मुकर्रमह में क़ुरैश से बात-चीत करें...

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मुहब्बत का बग़ीचा (चोथा प्रकरण)

रसूले करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के मुबारक दौर में जब लोग इस्लाम में दाख़िल होने लगे और भिन्न भिन्न विस्तारों में इस्लाम की इशाअत (फ़ैलने) की ख़बर पहोंचने लगी, तो बनु तमीम के सरदार अकषम बिन सैफ़ी (रह.) के दिल में इस्लाम के बारे में जानने का शौक़ पैदा हुवा...

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