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उलमा और बड़ो की बेअदबी अपना ही नुक़सान है

“उलमा और अईमए दीन की बेअदबी तथा उन के साथ बदगुमानी यह तो बहोत बडी बात है, सामान्य आदमी सामान्य मुसलमान की आबरू रेज़ी और बदगुमानी यह भी किसी तरह जाईज़ नहीं, उन बड़ों में से ख़ुदा न ख्वास्ता अगर किसी की बे अदबी हो गई, तो याद रखो के अपना सब कुछ खो बेठोगे.”...

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मुलाक़ात के समय दुरूद शरीफ़ पढ़ना

हज़रत अनस (रज़ि.) से रिवायत है के नबिए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया के “दो एसे मुसलमान जो सिर्फ़ अल्लाह तआला के वास्ते आपस में मुहब्बत करते हैं, जब वह एक दूसरे से मुलाक़ात करते हैं...

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सूरतुल ज़िलज़ाल की तफ़सीर

जब ज़मीन अपनी सख़्त जुम्बिश से हिला दी जाएगी (१) और ज़मीन अपने बोझ बाहर निकाल फेंकेगी (२) और इस हालत को देख कर काफ़िर आदमी कहेगा इस को क्या हुवा...

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