कुर्दी का किस्सा कुर्द एक कबीले का नाम है, उसमें एक शख़्स मशहूर डाकू था। वह अपना किस्सा बयान करता है कि मैं अपने साथियों की एक जमाअत के साथ डाके के लिए जा रहा था। रास्ते में हम एक जगह बैठे थे। वहां हमने देखा कि खजूर के तीन …
और पढ़ो »अमल और मेहनत के बगैर कोई चारा नहीं है
शेख-उल-हदीस हजरत मौलाना मुहम्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फरमाया: मेरा प्यारो! कुछ कर …
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम के महबूब
ذات مرة، قال سيدنا عثمان بن عفان رضي الله عنه عن سيدنا الزبير رضي الله عنه: أما والذي نفسي بيده إنه …
दुवा की सुन्नतें और आदाब – ५
(१) दुआ के शुरू में अल्लाह तआला की ह़म्द-ओ-सना बयान करें और उस के बाद नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैही व-…
सूरह इख़लास की तफ़सीर
قُل هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ ﴿١﴾ اللّٰهُ الصَّمَدُ ﴿٢﴾ لَم يَلِدْ وَلَم يُوْلَد ﴿٣﴾ وَلَمْ يَكُن لَ…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम का ह़वारी
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम ने फ़रमाया: إن لكل نبي حواريا وإن حواريي الزبير بن العوام. (صحيح…
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हज़रत सा’द रदि अल्लाहु अन्हू का बराह-ए-रास्त रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम से नमाज़ का तरीक़ा सीखना
في السنة الحادية والعشرين من الهجرة، أتى بعض أهل الكوفة سيدنا عمر رضي الله عنه وشكوا إليه سيدَنا سعدَ بن أبي وقاص رضي الله عنه أنه لا يصلّي بهم صلاة صحيحة. فسأله سيدُنا عمرُ رضي الله عنه عن ذلك، فقال: أما أنا والله فإني كنت أصلي بهم صلاة رسول الله …
और पढ़ो »फज़ाइले-आमाल – ४
हज़रत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू का इस्लाम और मसाइब हजरत बिलाल हब्शी र’दि अल्लाहु अन्हू एक मशहूर सहाबी हैं, जो मस्जिदे नबुवी के हमेशा मुअज्जिन रहे। शुरू में एक काफ़िर के गुलाम थे, इस्लाम ले आये जिसकी वजह से तरह-तरह की तकलीफें दिये जाते थे। (मुअज्जिन=अज़ान देने वाले) उमैया …
और पढ़ो »फज़ाइले सदकात – २
अल्लाह त’आला की नेमतें एक हदीस में है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने यह सूरत (सूरह तकाषुर) तिलावत फरमायी और जब यह पढ़ा – ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ फिर उस दिन, नेमतों से सवाल किए जाओगे। तो इर्शाद फरमाया कि तुम्हारे रब के सामने तुमसे ठंडे पानी का …
और पढ़ो »हज़रत सा’द रदि अल्लाहु अन्हू के लिए नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआ
قيل لسيدنا سعد بن أبي وقاص رضي الله عنه: متى أصبت الدعوة (أي استجابة دعائك)؟ قال: يوم بدر، كنت أرمي بين يدي النبي صلى الله عليه وسلم، فأضع السهم في كبد القوس، أقول: اللهم زلزل أقدامهم، وأرعب قلوبهم، وافعل بهم وافعل، فيقول النبي صلى الله عليه وسلم: اللهم استجب لسعد …
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