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क़यामत के दिन नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के ‎पड़ोसी होने का शरफ़

“जो शख़्स इरादा कर के मेरी ज़ियारत करे वह क़यामत में मेरे पड़ोस में होगा और जो शख़्स मदीना में क़याम करे और वहां की तंगी और तकलीफ़ पर सबर करे...

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दीन की तलब तथा क़दर पैदा करना

हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “हमारे नज़दीक इस वक़्त उम्मत की असल बीमारी दीन की तलब तथा क़दर से उन के दिलों का ख़ाली होना है. अगर दीन की फ़िकर तथा तलब उन के अन्दर पैदा हो जाए और दीन की महत्तवता का शुऊर तथा …

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निकाह की सुन्नतें और आदाब – १३

अगर लड़का महरे फ़ातमी देना चाहे और महरे फ़ातमी महरे मिष्ल के बराबर हो तथा उस से ज़्यादा हो, तो यह जाईज़ है और अगर महरे फ़ातमी महरे मिष्ल से कम हो, लेकिन लड़की और लड़की के अवलिया इस मिक़दार से राज़ी हों, तो यह भी जाईज़ है...

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नमाज़ की सुन्नतें और आदाब – ८

विविध मसाईल मर्दों की नमाज़ से संबंधित  सवालः क्या मुक़्तदी इमाम के पीछे षना, तअव्वुज़, तसमिया और क़िराअत पढ़े?‎ जवाबः मुक़्तदी सिर्फ़ षना पढ़े और उस के बाद ख़ामोश रहे. मुक़्तदी इमाम के ‎पीछे तअव्वुज़, तसमिया और क़िराअत न पढ़े. सवालः अगर मुक़्तदी जमाअत में उस समय शामिल हो जाए …

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