‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात बारहवीं अलामत: बारहवीं अलामत बिदआत (बिदअत) से बहुत शिद्दत और एहतिमाम से बचना है, किसी काम पर आदमियों की कसरत का जमा हो जाना कोई मोतबर चीज़ नहीं। बल्कि असल इत्तिबा हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का है और यह देखना है कि सहाबा-ए-किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम का …
और पढ़ो »हज़रत तल्हा रज़ियल्लाहु अन्हु का अल्लाह के खातिर जान कुर्बान करने की बैअत करना
हज़रत सा’द बिन ‘उबादह रज़ियल्लाहु अन्हु ने फ़रमाया: بايع رسولَ الله صلى الله عليه وسلم …
कोहे हिरा का खुशी से झूमना
ذات مرة، صعد رسول الله صلى الله عليه وسلم جبل حراء ومعه أبو بكر وعمر وعثمان وعلي وطلحة، والزبير وسعد…
जहां भी हो, दुरूद शरीफ़ पढ़ो
عن الحسن بن علي رضي الله عنهما أن رسول الله صلى الله عليه و سلم قال حيثما كنتم فصلوا علي فإن صلاتكم …
बाग़े मोहब्बते – छत्तीसवाँ एपिसोड
एक अज़ीम वली – हज़रत फ़ुज़ैल बिन अयाज़ रह़िमहुल्लाह हज़रत फ़ुज़ैल बिन अयाज़ रह़िमहुल्लाह अपने …
इख़लास (निख़ालसता) से दुरूद शरीफ़ पढ़ना
عن ابي بردة بن نيار رضي الله عنه قال قال رسول الله صلي الله عليه وسلم من صلى علي من أمتي صلاة مخلصا …
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दुरूद शरीफ का कई गुना सवाब
عن أبي هريرة رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال من صلى علي عشرا صلى الله عليه مئة ومن صلى علي مئة صلى الله عليه ألفا ومن زاد صبابة وشوقا كنت له شفيعا وشهيدا يوم القيامة أخرجه أبو موسى المديني بسند قال الشيخ مغلطاي لا بأس به ...
और पढ़ो »अम्र बिल-मारूफ और नही अनिल-मुन्कर की जिम्मेदारी – आठवां एपिसोड
रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम की चार बुनियादी जिम्मेदारियाँ रसूले-करीम सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम इस दुनिया में लोगों के बीच दीन क़ाइम (स्थापित) करने के लिए भेजे गए और इस अहम और अज़ीम (महान) मकसद को पुरा करने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम को चार जिम्मेदारियाँ दी गईं। इन चार जिम्मेदारियों …
और पढ़ो »हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ियल्लाह अन्हु की नज़र में हज़रत अबू-उबैदह रज़ियल्लाह अन्हु का बुलंद मक़ाम
हज़रत अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद रज़ियल्लाह अन्हु ने एक बार फ़र्माया: أخلائي من هذه الأمة ثلاثة: أبو بكر وعمر وأبو عبيدة بن الجراح رضي الله عنهم (فضائل الصحابة لأحمد بن حنبل، الرقم: ١٢٧٧) इस उम्मत में मेरे तीन खास दोस्त हैं: अबू-बक्र, उमर और अबू-उबैदह। हज़रत अबू-बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु की नज़र …
और पढ़ो »फज़ाइले-सदकात – १५
‘उलमा-ए-आख़िरत की बारह अलामात दसवीं अलामत: दसवीं अलामत यह है कि उसका ज़्यादा एहतिमाम उन मसाइल से हो जो आमाल से ताल्लुक रखते हों, जायज़ नाजायज़ से ताल्लुक रखते हों, फुलां अमल करना ज़रूरी है। इस चीज़ से फुलां अमल ज़ाया (बर्बाद) हो जाता है। (मसलन फ़ुलां चीज़ से नमाज़ …
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