بسم الله الرحمن الرحيم बच्चे को अल्लाह तआला का परिचय कराना बच्चे की तरबियत अत्यंत अहम है. बच्चे की तरबियत की मिषाल इमारत की बुनियाद की तरह है. अगर इमारत की बुनियाद मज़बूत और पुख़्ता हो, तो इमारत भी मज़बूत और पुख़्ता रहेगी और हर तरह के हालात बरदाश्त करेगी. …
और पढ़ो »हज़रत सअ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की खुसूसी दुआ
गज़व-ए-उह़ुद में रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत सअ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए ख…
अल्लाह त’आला की बारगाह में हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु की दुआओं की क़ुबूलियत
नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज़रत स’अ्द रदि अल्लाहु ‘अन्हु के लिए दुआ फ़रमाई:…
मौत के लिए हर एक को तैयारी करना है
शेखु-ल-ह़दीस हज़रत मौलाना मुह़म्मद ज़करिया रहिमहुल्लाह ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमाया: मैं एक बात बहुत स…
हज़रत स’अद बिन अबी वक्कास रदि अल्लाहु ‘अन्हु को जन्नत की बशारत
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु ‘अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: स’अद जन्नत में होंगे (वो उन लोगों में स…
सूरह इखलास की तफ़सीर
قُل هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌ ﴿١﴾ اللّٰهُ الصَّمَدُ ﴿٢﴾ لَم يَلِدْ وَلَم يُوْلَد ﴿٣﴾ وَلَمْ يَكُن لَ…
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सूरतुल काफ़िरून की तफ़सीर
आप (ए मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम)) केह दीजिए के ए काफ़िरो (१) न में तुम्हारे माबूदों की परसतिश करता हुं (२) और न तुम मेरे माबूद की परसतिश करते हो (३)...
और पढ़ो »अल्लाह तआला की तरफ़ से सहाबए किराम (रज़ि.) के लिए अपनी दाईमी रज़ामंदी का एलान
अल्लाह तआला ने क़ुर्आन मजीद में इरशाद फ़रमायाः अल्लाह तआला उन से (सहाबए किराम (रज़ि.) से) राज़ी हैं और वह (सहाबए किराम (रज़ि.)) उन से (अल्लाह तआला से) राज़ी हैं. (सुरए तौबा, १००) हज़रत उषमान (रज़ि.) की मुहब्बत हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के लिए सुलहे हुदैबियह के मोक़े पर जब …
और पढ़ो »क़ुर्आने करीम की सुन्नतें और आदाब – २
तिलावत के फ़ज़ाईल दुनिया नूर और आख़िरत में ख़ज़ाना हज़रत अबु ज़र (रज़ि.) बयान करते हैं के में ने एक मर्तबा रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) से अर्ज़ किया के ए अल्लाह के रसूल ! मुझे कोई नसीहत फ़रमाऐं. आप (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने फ़रमायाः तक़्वा को मज़बूती से पकड़ो, क्युंकि …
और पढ़ो »हंमेशा नफ़ा देने वाला निवेष
शैख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः “दुनिया का कोई काम भी बग़ैर मेहनत, श्रम के नही हो सकता , तिजारत हो, ज़िराअत हो, सब में पापड़ बेलने पड़ते हैं. इसी तरह दीन का काम भी बग़ैर श्रम के नहीं हो सकता, मगर दोनों में …
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