२२) हर अंग को अच्छी तरह रगड़ना यहां तक के इस बात का यक़ीन हो जाए के पानी हर अंग को पहोंच गया है. २३) तमाम अंग को पै दर पै यानी एक अंग को दूसरे अंग के बाद बगैर किसी ताख़िर के धोना. २४) वुज़ू के दौरान दुन्यवी उमूर के मुतअल्लीक बात चीत न करना...
और पढ़ो »दुरूद शरीफ़ क़यामत के दिन नूर का कारण
हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमा…
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम का हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ रज़ियल्लाहु अन्हु के सर पर अमामा बांधना
عندما أمّر رسول الله صلى الله عليه وسلم سيدنا عبد الرحمن بن عوف رضي الله عنه على جيش دومة الجندل، عم…
जुम्आ के दिन कसरत से दुरूद शरीफ़ पढ़ना
عن أبي أمامة رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه و سلم أكثروا علي من الصلاة في كل يوم الجمع…
दुरूद-शरीफ़ की बरकत से तमाम दीनी और दुन्यवी ज़रूरतों की किफ़ायत
عن محمد بن يحيى بن حبان عن أبيه عن جده رضي الله عنه أن رجلا قال يا رسول الله صلى الله عليه وسلم أجعل…
मौत से पेहले जन्नत में ठिकाना नज़र आना
عن أبي موسى المديني رضي الله عنه قال قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: من صلى علي يوم الجمعة ألف مرة…
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मुसलमान औरत(स्त्री) की ग़ैर मौजूदगी में मुसलमान औरत को ग़ुसल देने के अहकाम(आदेश)
अगर किसी की बीवी(पत्नी) का इन्तेक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाली कोई मुस्लिम औरत(स्त्री) मौजूद न हो, फिर भी शोहर(पति) के लिए जाईज़ नहीं है के उस को ग़ुसल दे या उस के बदन को नंगे हाथ मस करे...
और पढ़ो »वुज़ू की सुन्नतें और आदाब-भाग-७
१९) जब वुज़ू मुकम्मल हो जाए, तो कलीमए शहादत पढना (अगर आप खुली जगह में हें, तो कलीमए शहादत पढते हुए आसमान की तरफ़ देखें). नीज़ अहादिसे मुबारका में वारिद दीगर मस्नून दुआऐं पढना. नीचे कुछ मस्नून दुआऐं नक़्ल की जाती हैं, जो वुज़ू के अंत में पढी जाए...
और पढ़ो »मुतफ़र्रिक़ मसाईल
अगर ग़ुसल देने वाला मुसलमान आदमी मौजूद न हो, तो मुरदा आदमी को कैसे ग़ुसल दिया जाए? अगर किसी आदमी का इन्तिक़ाल(मृत्यु) हो जाए और उस को ग़ुसल देने वाला कोई मुसलमान आदमी मौजूद न हो...
और पढ़ो »मय्यित का चेहरा देखना और फ़ोटो खींचना
(१) सिर्फ महरम औरत के लिए जाईज़ है के मय्यित(मर्द) का चेहरा देखे. (२) इसी तरह सिर्फ महरम मर्द के लिए जाईज़ है के उस मय्यिता(औरत) का चेहरा देखे...
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