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अफ़ज़ल तरीन हम्द और दुरूद

اَللّهُمَّ لَكَ الحَمْدُ كَمَا أَنْتَ اَهْلُهُ فَصَلِّ عَلَى مُحَمَّدٍ كَمَا أَنْتَ اَهْلُهُ وَافْعَلْ بِنَا مَا أَنْتَ اَهْلُهُ فَاِنَّكَ أَنْتَ اَهْلُ التَقْوَى وَ اَهْلُ المغْفِرَة (فضائل الدرود)

ए अल्लाह ! आप ही के लिए हम्द है जो आप की शायाने शान है...

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मज़ी का निकलना

सवाल – में जब भी कोई ख़ूबसूरत लड़की की तस्वीर दैखता हुं तो अकसर में नोट करता हुं मज़ी निकल जाती हैं. एसे में मुझे क्या करना चाहिए ग़ुसल या कपड़े बदलना चाहिए ?

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ख़ुले सर के साथ बैतुलख़ला में दाख़िल होना

सवाल – जब हम बैतुलख़ला में या ग़ुसलख़ाने में जाते हैं तो सर पर दुपट्टा लेना ज़ररी है? और मर्द नंगे सर बैतुलख़ला में जा सकते हैं? और अगर ज़रूरी है तो क्युं ?

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