जुमुआ के दिन दुरूद शरीफ़ की कसरत(दुरूद शरीफ़ ज़ियादह पढ़ना)

عن أوس بن أوس رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: إن من أفضل أيامكم يوم الجمعة فأكثروا علي من الصلاة فيه فإن صلاتكم معروضة علي (سنن أبي داود، الرقم: ١٠٤٧)

हज़रत औस बिन औस (रज़ि.) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमायाः बेशक सब से बाबरकत और फ़ज़ीलत वाला दिन, जुमुआ का दिन हे. लिहाज़ा उस दिन में मुझ पर ख़ूब दुरूद भेजा करो. इस लिए के तुम्हारा दुरूद  मेरे सामने पेश किया जाता हे.

बहोत ज़ियादह दुरूद शरीफ़ पढ़ने की वजह से इनआमात(पुरस्कार)

अबुल अब्बास अहमद बिन मन्सूर का जब इन्तिक़ाल हो गया तो शीराज़ के लोगों में से ऎक शख़्स ने उस को ख़्वाब में देखा के वह शीराज़ की जामे मस्जिद में मेहराब में खङे हें और उन पर ऎक जोङा(लिबास) हे और सर पर एक ताज हे जो जवाहरात और मोतियों से लदा हुवा हे.

ख़वाब देखनेवाले ने उन से पूछा, उन्होंने कहाः अल्लाह तआलाने मेरी मग़फ़िरत फ़रमा दी और मेरा बहुत इकराम फ़रमाया और मुझे ताज अता फ़रमाया और ये सब नबीए करीम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) पर ज़ियादह दुरूद पढ़ने की वजह से.(फ़ज़ाइले दुरूद, पेज नं-१५६)

يَا رَبِّ صَلِّ وَ سَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

Source: http://whatisislam.co.za/index.php/durood/item/384 & http://ihyaauddeen.co.za/?p=4504

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