सेकंड़ो में लाखों षवाब

عن ابن عباس رضي الله عنهما قال: قال رسول الله صلى الله عليه و سلم: من قال: جزى الله عنا محمدا بما هو أهله أتعب سبعين كاتبا ألف صباح (الطبراني في الأوسط، الرقم: ٢٣٥)

हजरत इब्ने अब्बास (रदी.) हुजुर (सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम) का इरशाद नकल करते हें के जो शख्स ये दुआ करे, “جزى الله عنا محمدا بما هو أهله” (अल्लाह तआला जझा दें मुहमंद (सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम) को हम लोगों की तरफ से जिस बदले के वह मुस्तहिक हें), तो उस का षवाब सत्तर (७०) फरिश्तों को एक हजार दिन तक मशक्कत में दालेगा.

रसुलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम) के दिल में अपनी उम्मत की मुहब्बत

मवाहिबे लदुनियाह में तफसीरे कुशैरी से नकल किया गया हे के कयामत में किसी मोमिन की नेकियां कम वजन हो जाएगी तो रसुलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलयही वसल्लम) एक परचा उंगली के पोरे के बराबर निकाल कर मीजान में रख देंगे जिस से नेकीयों का पल्ला वजनी हो जाएगा वह मोमिन कहेगा, मेरे मां-बाप आप पर कुर्बान हो जांए आप कोन हें? आप की सुरत ओर सीरत केसी अच्छी हे. आप फरमाएंगे में तेरा नबी हुं ओर यह दुरूद शरीफ हे जो तुने मुज पर पळ्हा था, में ने तेरी हाजत के वक्त उस को अदा कर दिया.(फझाइले दुरूद, पेज नं: १५०)

يَا رَبِّ صَلِّ وَ سَلِّم دَائِمًا أَبَدًا عَلَى حَبِيبِكَ خَيرِ الْخَلْقِ كُلِّهِمِ

Source: http://ihyaauddeen.co.za/?p=3854

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