शादी की मुरव्वजह दअवतें

शेख़ुल हदीष हज़रत मौलाना मुहम्मद ज़करिय्या साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः 

“मुझे इन शादियों की दअवत से हंमेशा नफ़रत रही (चुंके सुन्नत तरीक़ा यह है के शादी में सादगी होनी चाहिए). मेरे यहां देखने वालों को सब ही को मालूम है के मेहमानों की भीड़ बाज़ अवक़ात दो सो (२००), ढ़ाई सो (२५०) तक पहुंच जाता है, बलकि बाज़ मर्तबा तो मेहमानों की कषरत से कई कई देगों के पकने की नौबत आती. लेकिन शादियों के सिलसिले में एक दफ़ा भी मुझे याद नहीं के एक देग पकवाई हो.” (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़(रह.), पेज नं-१००)

Source: https://ihyaauddeen.co.za/?p=7182


Check Also

ख़ानक़ाही लाइन में राहज़न चीजें

हज़रत मौलाना अशरफ़ अली थानवी रह़िमहुल्लाह ने एक मर्तबा इर्शाद फरमाया: मैं खैर ख्वाही से …