
हज़रत मौलाना मुहम्मद इल्यास साहब (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“फ़राईज़ का स्थान नवाफ़िल से बहोत उच्चतर है बलकि समझना चाहिए के नवाफ़िल से मक़सूद ही फ़राईज़ की तकमील या उन की कोताहियों की तलाफ़ी होती है इसलिए के फ़राईज़ असल हैं और नवाफ़िल उन के अनूसर और शाख़, मगर कुछ लोगों का हाल यह है के वह फ़राईज़ से तो लापरवाही बरतते हैं और नवाफ़िल में व्यस्त रहने का उस से बदजहा ज़्यादह प्रबंध करते हैं” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास (रह.), पेज नं-१३)
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