सवाल – अगर कोई शख़्स बिना शर’ई उज़्र के तवाफ़ और तवाफ़-ए-विदा’ छोड़ दे तो क्या उस पर दम वाजिब होगा?
जवाब – उस पर एक दम (दुंबा या बकरी) वाजिब होगा। यह जानवर हरम के हु़दूद में उसकी तरफ से ज़बह़ किया जाए, कफ़्फ़ारे के तौर पर।
(तवाफ़-ए-विदा’= बैतुल्लाह शरीफ का तवाफ जो मक्का मुकर्रमा से रवानगी के वक्त अदा किया जाता है।)
अल्लाह तआला ज्यादह जानने वाले हैं.
( ثم ) إذا أراد السفر ( طاف للصدر ) أي الوداع ( سبعة أشواط بلا رمل وسعي وهو واجب إلا على أهل مكة ) … قال الشامى: قوله ( وهو واجب ) فلو نفر ولم يطف وجب عليه الرجوع ليطوف ما لم يجاوز الميقات فيخير بين إراقة الدم والرجوع بإحرام جديد بعمرة مبتدئا بطوافها ثم بالصدر ولا شيء عليه لتأخيره ( شامى ج 2 ص 523)
जवाब देनेवालेः
मुफ़ती झकरिया मांकडा
इजाझत देनेवालेः
मुफ़ती इब्राहीम सालेहजी