हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास साहब(रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“इमान यह है के अल्लाह व रसूल(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) को जिस चीज़ से ख़ुशी और राहत हो बंदे को भी उस से ख़ुशी और राहत हो. और जिस चीज़ से अल्लाह व रसूल(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) को नागवारी(अप्रिय) और तकलीफ़ हो बंदे को भी उस से नागवारी और तकलीफ़ हो. और तकलीफ़ जिस तरह तलवार से होती है उसी तरह सुई से भी होती है. पस अल्लाह व रसूल(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) को नागवारी(अप्रिय) और तकलीफ़ कुफ्र व शिर्क से भी होती है और मआसी से भी, लिहाज़ा हम को भी मआसी(गुनाहों) से नागवारी(नफ़रत) और तलकीफ़ होनी चाहिए.” (मलफ़ूज़ात हज़रत मौलाना मुहमंद इल्यास(रह.), पेज नं-१२३)
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