हज़रत शैख़ मौलाना मुहमंद ज़करिय्या (रह.) ने एक मर्तबा इरशाद फ़रमायाः
“आज लोग दाढ़ी मुंड़वाने को गुनाह नहीं समझते, एक दफ़ा हुज़ूरे अकरम (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) के पास दो काफ़िर क़ासिद (संदेशा पहोंचाने वाला) आए वोह दाढ़ी मुंड़े थे, हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने मुंह फेर लिया. मेरे प्यारो ! मरने के बाद मुनकर नकीर के सवाल के मोक़े पर हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) का सामना होगा, उस वक़्त हुज़ूर(सल्लल्लाहु अलयहि वसल्लम) ने मुंह फेर लिया तो क्या करोगे?” (मलफ़ूज़ात हज़रत शैख़ (रह.), पेज नं-१६०)
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